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हिंदी में संजीव व अंग्रेजी में नीलम शरण समेत 24 लेखकों को साहित्य अकादमी पुरस्कार

हमें फॉलो करें हिंदी में संजीव व अंग्रेजी में नीलम शरण समेत 24 लेखकों को साहित्य अकादमी पुरस्कार
, बुधवार, 20 दिसंबर 2023 (17:00 IST)
Sahitya Akademi Award 2023:  साहित्य जगत का सबसे ज्यादा चर्चित साहित्य अकादेमी सम्मान की बुधवार को घोषणा की गई। देश की 24 भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य की रचना करने वाले लेखकों को यह सम्मान दिया जाता है।

साहित्य अकादमी ने हिंदी के लिए संजीव, अंग्रेजी के लिए नीलम शरण गौर और उर्दू के लिए सादिक नवाब सहर समेत 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को प्रतिष्ठित वार्षिक ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023’ से सम्मानित करने की बुधवार घोषणा की।

अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने यहां बताया कि अकादमी ने नौ कविता-संग्रह, छह उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन निबंध तथा एक आलोचना की पुस्तक को पुरस्कार के लिए चुना है।

उन्होंने बताया, ‘पुरस्कारों की अनुशंसा 24 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई है तथा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में आज इन्हें अनुमोदित किया गया’

उन्होंने बताया कि अगले साल 12 मार्च को आयोजित किए जाने वाले समारोह में विजेता लेखकों को पुरस्कार स्वरूप एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक-एक लाख रुपए की राशि दी जाएगी।

मुझे पहचानो के लिए मिला सम्‍मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार इस साल संजीव को उनके उपन्यास 'मुझे पहचानो' के लिए दिया जा रहा है। पिछले साल यह सम्मान जीतने का श्रेय बद्री नारायण के कविता संग्रह 'तुमड़ी के शब्द' को मिला था। विजेता के नाम की घोषणा साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित रवींद्र भवन में साहित्य अकादेमी मुख्यालय में की है। उन्होंने हिंदी भाषा के साथ ही अन्य भाषाओं के विजेताओं के भी नाम घोषित कर दिए हैं।

इस बार पुरस्कार के लिए चुने गए साहित्य में 9 कविता संग्रह, 6 उपन्यास, 5 कहानी संग्रह, 3 निबंध और एक आलोचना शामिल है। खास बात ये है कि पिछले पांच साल का ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा है। इस बार भी पिछले पांच साल की तरह पहली बार प्रकाशित पुस्तकों को ही सम्मानित किया गया है।

साहित्‍य अकादेमी का इतिहास : साहित्य अकादेमी की स्थापना भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट रचनाओं के लेखकों बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1954 में की गई थी। अकादमी के पहले अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। उनके साथ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सी. राजगोपालाचारी, केएम पानीक्कर, अबुल कलाम आजाद, केएम मुंशी, डीवी गुंडप्पा, उमाशंकर जोशी, जाकिर हुसैन, महादेवी वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर इसकी सामान्य परिषद के प्राथमिक सदस्य थे। साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता लेखक को हर साल ताम्र पत्र, शॉल और एक लाख रुपए की नकद धनराशि दी जाती है। सबसे पहली बार हिंदी भाषा में यह पुरस्कार माखन लाल चतुर्वेदी को उनके काव्य ‘हिमतरंगिनी’ के लिए मिला था।

कैसे चुने जाते हैं विजेता : साहित्य अकादेमी पुरस्कारों के विजेता बेहद गोपनीय तरीके से चुने जाते हैं। इसके लिए चयन की एक स्पष्ट, लेकिन गोपनीय प्रक्रिया अपनाई जाती है। हर भाषा के विजेताओं को चुनने के लिए उस भाषा की अलग कमेटी चुनी जाती है। यह कमेटी सबसे पहले उस भाषा से जुड़े साहित्यकारों के आवेदनों की स्क्रूटनी करती है। इसके बाद उसमें से विजेता पुस्तक का चयन किया जाता है। इस बार हिंदी भाषा के लिए बनाए गए निर्णायक मंडल में लीलाधर जगूड़ी, नासिरा शर्मा और रामजी तिवारी शामिल थे।
Edited by navin rangiyal

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