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आरएसएस प्रमुख भागवत ने दशहरे पर की शस्त्र पूजा, अनुच्छेद 370 पर मोदी को सराहा

हमें फॉलो करें आरएसएस प्रमुख भागवत ने दशहरे पर की शस्त्र पूजा, अनुच्छेद 370 पर मोदी को सराहा
नागपुर , मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019 (10:04 IST)
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में मंगलवार को विजयादशमी के मौके पर ‘शस्त्र पूजा’ की। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने का मोदी, शाह का कदम सराहनीय है।

विजयदशमी के मौके पर यहां के रेशमीबाग मैदान में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कदम अपनी पूर्णता तब प्राप्त कर लेगा, जब 370 के प्रभाव में न हो सके न्याय कार्य सम्पन्न होंगे तथा उसी प्रभाव के कारण चलते आये अन्यायों की समाप्ति होगी।
 
 
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उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ‘लिंचिग’ शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपे।
 
भागवत ने कहा, 'बीते कुछ वर्षों में भारत की सोच की दिशा में एक परिवर्तन आया है, जिसे न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी है और भारत में भी, तथा निहित स्वार्थों के लिए ये शक्तियां भारत को दृढ़ और शक्ति संपन्न नहीं होने देना चाहतीं।'
 
देश की सुरक्षा पर संघ प्रमुख ने कहा, 'सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं।'
 
उन्होंने कहा कि हमारी स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है। केवल स्थल सीमापर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमापर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी। देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है।
 
सरसंघचालक ने कहा, 'समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है।'

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