Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

'राइट टू प्राइवेसी' का मेरा फैसला संविधान को नींव के रूप में मान्यता देना था : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

हमें फॉलो करें 'राइट टू प्राइवेसी' का मेरा फैसला संविधान को नींव के रूप में मान्यता देना था : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़
, शनिवार, 17 जुलाई 2021 (23:45 IST)
नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि निजता के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत 'जीवन के अधिकार' के एक अनिवार्य घटक के रूप में नामित करने का उनका 2017 का फैसला संविधान को एक नींव के रूप में मान्यता देना था, जिस पर आने वाली पीढ़ियों का निर्माण हो।

24 अगस्त, 2017 को नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया था। इस निर्णय में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि 'निजता मानव गरिमा का संवैधानिक मूल है।'

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नागरिक समाज में सबसे मजबूत आवाजों में से एक ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी यात्रा की शुरुआत 15 साल की उम्र में स्वीडिश संसद के बाहर बैठकर ग्लोबल वार्मिंग के आसन्न जोखिमों के खिलाफ सरकारी कार्रवाई की मांग से की।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, 'उनका और कई अन्य लोगों का उदाहरण हमें यह बताता है कि कोई भी इतना छोटा या इतना महत्वहीन नहीं है कि एक बड़ा बदलाव न ला सके।'

उन्होंने अपने पिता तथा भारत के सबसे लंबे समय तक प्रधान न्यायाधीश रहे वाई वी चंद्रचूड़ की 101वीं जयंती पर शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले महाराष्ट्र स्थित संगठन शिक्षण प्रसार मंडली (एसपीएम) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महाराष्ट्र में Corona के 8172 नए मामले, तमिलनाडु में 43 मरीजों की मौत