नई दिल्ली। हिंदी के सुप्रसिद्ध गीतकार एवं जाने माने कवि पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज' का आज शाम यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।
वृद्धावस्था के कारण काफी समय से बीमार चल रहे नीरज की तबियत बिगड़ने पर आगरा के लोटस अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन स्थिति लगातार खराब होने पर उन्हें आगरा से लाकर कल एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और उनके फेफड़े में मवाद निकालने के लिए नली डाली गई थी।
नीरज के पारिवारिक जानकारों ने बताया कि आज शाम 7 बजकर 15 मिनट पर उन्होंने एम्स में अंतिम श्वास ली। उनके परिवार में तीन पुत्र हैं और पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है।
नीरज के पुत्र शशांक प्रभाकर ने बताया कि उनकी पार्थिव देह को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे' जैसे मशहूर गीत लिखने वाले नीरज को उनके बेजोड़ गीतों के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रख्यात कवि गोपाल दास 'नीरज' के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि नीरज जी ने अपनी काव्य रचनाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उन्हें भावनाओं और अनुभूतियों को व्यक्त करने में दक्षता हासिल थी। हिन्दी फिल्मों के लिए नीरज जी द्वारा लिखे गए गीत आज भी लोकप्रिय हैं।
गोपाल दास 'नीरज' के निधन से साहित्य जगत को जो हानि हुई है, उसकी भरपाई होना कठिन है। योगी ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
4 जनवरी, 1924 को उत्तरप्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में जन्मे नीरज के एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। 'पहचान' फिल्म के गीत बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं... और 'मेरा नाम जोकर' के ए भाई! ज़रा देख के चलो... ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया।