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राहुल बोले, भारत की असंगठित अर्थव्यवस्था पर GST दूसरा बड़ा हमला

हमें फॉलो करें राहुल बोले, भारत की असंगठित अर्थव्यवस्था पर GST दूसरा बड़ा हमला
, रविवार, 6 सितम्बर 2020 (14:09 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि राजग का माल एवं सेवा कर (GST) कोई कर प्रणाली नहीं, बल्कि भारत के गरीबों और छोटे एवं मझोले व्यवसायों पर हमला है। उन्होंने सभी से इसके खिलाफ खड़े होने की अपील की।

गांधी ने जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ करार देते हुए कहा कि यह भारत की असंगठित अर्थव्यवस्था पर दूसरा बड़ा हमला है और यह पूरी तरह से विफल रहा है। उन्होंने पहले कहा था कि नोटबंदी अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक क्षेत्र पर पहला हमला थी।

अर्थव्यवस्था पर अपनी वीडियो श्रृंखला के क्रम में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राजग सरकार ने ऐसे बड़े उद्योगपतियों को ध्यान में रखते हुए कर की चार अलग-अलग श्रेणियां बनाईं जिनके पास जीएसटी के तले कर में बदलाव करने के वास्ते आवश्यक साधन और संपर्क हैं।

अपने विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर साझा की गई वीडियो श्रृंखला में गांधी ने कहा कि जीएसटी पूरी तरह से विफल रहा है। यह न केवल नाकाम साबित हुआ, बल्कि यह गरीबों और छोटे तथा मझोले उद्योगों पर हमला भी है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी कोई कर प्रणाली नहीं है, यह तो भारत के गरीबों पर हमला है। यह छोटे दुकानदारों, छोटे एवं मझोले व्यवसायों, किसानों और श्रमिकों पर हमला है।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने करीब 3 मिनट का वीडियो ट्विटर पर साझा किया जिसमें उन्होंने कहा कि जीडीपी में आई ऐतिहासिक गिरावट का एक अन्य मुख्य कारण है मोदी सरकार का गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी)। इसने बहुत नुकसान पहुंचाया है-लाखों छोटे व्यवसायों को, करोड़ों नौकरियों और युवाओं के भविष्य को और राज्यों के आर्थिक हालात को। जीएसटी का मतलब है आर्थिक विनाश।

गौरतलब है कि भारत की आर्थिक विकास दर में अप्रैल से जून की तिमाही में रिकॉर्ड गिरावट आई है। इस अवधि में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

गांधी ने दावा किया कि जीएसटी संप्रग सरकार का विचार था जिसका मतलब था, ‘‘एक कर, न्यूनतम कर, मानक एवं सरल कर’’।

उन्होंने आरोप लगाया कि राजग का जीएसटी बिलकुल अलग है। कर की चार अलग-अलग श्रेणियां, जो 28 फीसदी तक हैं, जटिल हैं और समझने के लिहाज से कठिन हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि छोटे और मझोले व्यवसाय यह कर अदा नहीं कर सकते हैं जबकि बड़ी कंपनियां इस काम को करने के लिए कुछ लेखाकारों को नौकरी पर रखकर इसका भुगतान बड़ी ही आसानी से कर सकती हैं।

उन्होंने पूछा, ‘‘चार अलग-अलग दर क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार चाहती है कि जिनके पास साधन हैं, वे जीएसटी को सुगमता से बदल सकें और जिनके पास साधन नहीं हैं, वे इसके बारे में कुछ न कर सकें।’’

गांधी ने कहा, ‘साधन किसके पास हैं? भारत के 15-20 सबसे बड़े उद्योगपतियों के पास। इसलिए वे जिस भी कर कानून में बदलाव कराना चाहते हैं, ऐसा वह जीएसटी के तले आसानी से कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि राजग के जीएसटी का परिणाम आज यह है कि भारत सरकार राज्यों को जीएसटी की राशि तक नहीं दे पा रही है और राज्य अपने कर्मचारियों एवं शिक्षकों को पैसा नहीं दे पा रहे हैं। (भाषा)

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