RBI credit policy news in hindi : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को लगातार 5वीं बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा।
साथ ही चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 3 दिन की बैठक में किए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया।
इसके साथ, एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने के अपने रुख पर कायम रहने का निर्णय किया है। RBI प्रमुख ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और हमारी बुनियाद सृदृढ़ है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह, पीएमआई (परजेचिंग मैनेजर इंडेक्स) जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े मजबूत बने हुए हैं। इन सबको देखते हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पहले आरबीआई ने 2023-24 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। खुदरा महंगाई दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा गया है।
मौद्रिक नीति की खास बातें :
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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार 5वीं बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।
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RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 7 प्रतिशत किया।
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चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.6 प्रतिशत पर और चौथी में 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान।
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व्यापारियों को वस्तुओं और सेवाओं के एवज में ग्राहकों की अनुमति से उनके खाते से स्वत: पैसा काटने की सीमा को मौजूदा के 15,000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए करने का निर्णय किया गया।
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RBI ने अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए यूपीआई के जरिये भुगतान सीमा मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया।
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डिजिटल लोन क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए रिजर्व बैंक कर्ज उत्पादों के वेब एग्रीगेटर्स के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगा।
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शक्तिकांत दास ने कहा, मुद्रास्फीति का 4 प्रतिशत का लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं हुआ है।
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रुपए में 2023 में अन्य उभरते देशों की मुद्राओं की तुलना में कम उतार-चढ़ाव रहा है।
Edited by : Nrapendra Gupta