तीन तलाक बिल पर रविशंकर प्रसाद बोले, मुस्लिम महिलाओं को ऐसे नहीं छोड़ सकते

Webdunia
गुरुवार, 25 जुलाई 2019 (13:02 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश किया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह बिल पेश करते हुए कहा कि हम मुस्लिम महिलाओं को ऐसे नहीं छोड़ सकते। 
 
रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019' को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया जिसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तीन बार तलाक बोलकर विवाह तोड़ने को निषेध करने का प्रावधान किया गया है।
 
आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किए जाने का विरोध करते हुए इस संबंध में सरकार द्वारा फरवरी में लाए गए अध्यादेश के खिलाफ सांविधिक संकल्प पेश किया। संकल्प पेश  करने वालों में अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, प्रो. सौगत राय, पीके कुन्हालीकुट्टी और असदुद्दीन औवैसी भी शामिल हैं।
 
प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को भाजपा सरकार लक्षित एजेंडे के रूप में लाई है। यह राजनीतिक है। इस बारे  में अध्यादेश लाने की इतनी जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में उच्चतम न्यायालय का  फैसला 3:2 के आधार पर आया।
 
वहीं विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि संविधान के मूल में लैंगिक न्याय है तथा महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध किया गया है। मोदी सरकार के मूल में भी लैंगिक न्याय है। हमारी 'बेटी  बचाओ, बेटी पढ़ाओ', 'उज्ज्वला' जैसी योजनाएं महिलाओं को सशक्त बनाने से जुड़ी हैं। इसी दिशा में पीड़ित महिलाओं की संरक्षा के लिए हम कानून बनाने की पहल कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि तीन तलाक की पीड़ित कुछ महिलाओं द्वारा उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था। यह 5 न्यायमूर्तियों की पीठ थी। इस फैसले का सार था कि शीर्ष अदालत ने इस प्रथा को गलत बताया। इस बारे में कानून बनाने की बात कही गई।
 
प्रसाद ने कहा कि तो अगर इस दिशा में आगे नहीं बढ़े तो क्या पीड़ित महिलाएं फैसले को घर में टांग लें। प्रसाद  ने कहा कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय का सवाल है, धर्म का नहीं।' पिछले साल दिसंबर में तीन  तलाक विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी थी लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार इस संबंध में अध्यादेश लेकर आई थी, जो अभी प्रभावी है।
 
विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि 2017 से अब तक तीन तलाक के 574 मामले विभिन्न स्रोतों से सामने आए हैं। मीडिया में लगातार तीन तलाक के उदाहरण सामने आ रहे हैं। इस विधेयक को सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। यह इंसाफ से जुड़ा विषय है। इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
 
प्रसाद ने कहा कि 20 इस्लामी देशों ने इस प्रथा को नियंत्रित किया है। हिन्दुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है तो वह ऐसा क्यों नहीं कर सकता? उन्होंने बताया कि इसमें मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है। इसके अलावा भी कई एहतियाती उपाए किए गए हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Project Cheetah : प्रोजेक्ट चीता अच्छा काम कर रहा, NTCA ने जारी की रिपोर्ट

No Car Day : इंदौर 22 सितंबर को मनाएगा नो कार डे, प्रशासन ने नागरिकों से की यह अपील

LLB अंतिम वर्ष के छात्र भी दे सकेंगे AIBE की परीक्षा, Supreme Court ने BCI को दिए आदेश

फारूक अब्दुल्ला का PM मोदी पर पलटवार, कहा- वे उन लोगों के साथ खड़े जिन्हें पाक से मिलता है धन

बैठक के दौरान जब CM योगी ने पूछा, कहां हैं पूर्व सांसद लल्लू सिंह?

सभी देखें

नवीनतम

Gaganyaan Mission को लेकर क्‍या है चुनौती, प्रक्षेपण से पहले ISRO चीफ ने दिया यह बयान

One Nation One Election : पूर्व CEC कुरैशी ने बताईं एक देश एक चुनाव की खूबियां और खामियां

महाराष्ट्र में MVA के बीच सीटों का बंटवारा, जानिए किसको मिलीं कितनी सीटें

Project Cheetah : प्रोजेक्ट चीता अच्छा काम कर रहा, NTCA ने जारी की रिपोर्ट

आतिशी 21 सितंबर को लेंगी CM पद की शपथ, 5 मंत्री भी लेंगे शपथ

अगला लेख
More