नई दिल्ली। हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक की दुष्कर्म के बाद जलाकर हत्या करने के मामले के आरोपियों को यथाशीघ्र फांसी की सजा दिए जाने की मांग करते हुए सोमवार को राज्यसभा में सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश की पुलिस तंत्र और न्याय प्रणाली पर सवाल उठाए।
सुबह कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर सदन में कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन फिर भी पूरे देश में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। कठोर कानून भी बनाए गए, लेकिन उसका भी भय नहीं हो रहा है। वे इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए किसी राज्य या सरकार का नाम नहीं लिया जाएगा। इस पर शून्यकाल के तहत ही चर्चा की जाएगी।
समाजवादी पार्टी की जया बच्चन ने कहा कि कठोर कानून का भी लोगों में अब भय नहीं है, इसलिए वे चाहती हैं कि इस तरह के मामलों के आरोपियों को लोगों के हवाले कर दिया जाना चाहिए। दुनिया के कई देशों में इस तरह की व्यवस्था है।
सदन के विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जब भी इस तरह की गंभीर घटना होती है सदन में चर्चा की जाती है। इसके लिए कठोर कानून भी बनाए गए हैं। आरोपियों को सजा भी हुई है, लेकिन अपराधियों के मन में भय पैदा नहीं हो रहा है। इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए कानून, पुलिस और न्यायपालिक ही काफी नहीं है बल्कि सामाजिक स्तर पर पहल किए जाने की जरूरत है।
कांग्रेस की अमी याग्निक ने कहा कि कानूनी स्तर पर कठोर कानून बनाए जा चुके हैं, लेकिन अब सामाजिक एवं मानसिक स्तर पर बदलाव लाए जाने की जरूरत है। जब तक सामाजिक और मानसिक स्तर पर बदलाव नहीं आएगा तब तक इस समस्या का हल नहीं हो सकता है।
कांग्रेस के मोहम्मद अली खान ने कहा कि हैदराबाद की घटना की तरह ही कुछ वर्षों पूर्व दिल्ली में भी इस तरह की घटना हुई थी और उसके बाद कठोर कानून बनाए गए थे, लेकिन अफसोस पुलिस घटना हो जाने के बाद सक्रिय होती है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद मामले में 15 से 20 दिनों में आरोपियों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि इस तरह की दरिंदगी की वजह सामाजिक और मानसिक बीमारी है। भाजपा के आरके सिन्हा ने कहा कि इस तरह की घटना से पूरा देश आंदोलित हो जाता है। इसके कारण को देखना होगा। हमारी शिक्षा पद्धति में कुछ खामियां हैं और इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
अन्नाद्रमुक की विजला सत्यनाथ ने हैदराबाद कांड के आरोपियों को 31 दिसंबर 2019 से पहले फांसी दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि समाचार पत्र खोलने पर हर दिन तीन से चार इस तरह की घटनाओं का उल्लेख होता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों के पास मादक पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए।
आप के संजय सिंह ने कहा कि हैदराबाद के रांची और दिल्ली में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं। कठोर कानून बने हैं, लेकिन अब तक सजा मिलने बहुत समय लग रहा है। निर्भया की मां को अभी भी न्याय नहीं मिला है। बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने कहा कि इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए सिर्फ कानून की काफी नहीं है। इसके सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्तर पर सजा दिए जाने की जरूरत है। बसपा के वीरसिंह ने कहा कि फास्ट ट्रैक अदालत में त्वरित न्याय मिलना चाहिए।
भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि इस तरह की घटनाएं सभ्य समाज के लिए चुभन हैं। भाजपा के ही अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए सिस्टम में बदलाव लाने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्द्र शेखर राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिस अपने थाना क्षेत्र का मामला नहीं होने का हवाला देकर मामला दर्ज नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में गृहमंत्री को सभी राज्यों को निर्देशिका भेजकर स्पष्ट करना चाहिए कि इस तरह की घटना का किसी भी थाने में मामला दर्ज किया जाना चाहिए और त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विस्वम ने कहा कि वह फांसी की सजा के विरूद्ध हैं लेकिन हैदराबाद कांड के आरोपियों को यथाशीघ्र फांसी की सजा दी जानी चाहिए।
माकपा के टीके रंगराजन, कांग्रेस के टी सुब्बारामी रेड्डी, तृणमूल कांग्रेस के डॉ. सांतनु सेन, एमडीएमके के वाईको और शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने भी अपने विचार रखे।