अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पूरी होने के बाद अब फैसले का इंतजार है। फैसले को लेकर गुरुवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सहित 5 जजों ने मीटिंग की। बैठक में मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को किस रूप में लिया जाए इस पर चर्चा हुई। यह तय है कि इस मामले में मध्यस्थता नहीं, बल्कि सीधे फैसला ही आएगा।
खबरों के मुताबिक, अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुनवाई कर चुकी 5 सदस्यीय संविधान पीठ के पांचों सदस्य मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने गुरुवार को मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट पर विचार विमर्श किया।
चर्चा इस बात पर भी हुई कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए समय से फैसला कैसे लिखा और सुनाया जाए। मुद्दे पर भी चर्चा हुई कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को किस रूप में लिया जाए। जजों ने मुकदमे में पक्षकारों के दावों और फैसले को लेकर अपने-अपने दृष्टिकोण को लेकर भी चर्चा की।
मीटिंग से ये तय हो गया कि फैसला 17 नवंबर तक आ जाएगा। मुमकिन है 10 से 15 नवंबर के बीच ही फैसला आ जाए। सुनवाई के आखिरी दिन बुधवार को कई अर्जी रखी गई थीं, लेकिन पीठ ने कहा था कि अब किसी अर्जी पर विचार नहीं किया जाएगा।
वहीं दूसरी ओर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने मामले को वापस लेने की खबरों को सिरे से खारिज किया है। फारुकी ने कहा कि हमने उच्चतम न्यायालय में ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया है, जिसमें यह कहा गया हो कि हम केस को वापस कर रहे हैं।