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राम मंदिर परिसर का 70 प्रतिशत हिस्सा होगा हरा-भरा और आत्मनिर्भर

हमें फॉलो करें राम मंदिर परिसर का 70 प्रतिशत हिस्सा होगा हरा-भरा और आत्मनिर्भर
अयोध्या , बुधवार, 27 दिसंबर 2023 (00:08 IST)
Ram temple complex Ayodhya : राम मंदिर परिसर (Ram temple complex) का अधिकांश हिस्सा सैकड़ों पेड़ों (trees) के साथ हरा-भरा क्षेत्र होगा और खुद के सीवेज तथा जलशोधन संयंत्र, एक दमकल चौकी एवं विशिष्ट बिजली लाइन जैसी सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर होगा। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने मंगलवार को यहां बताया कि 70 एकड़ परिसर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा हरित क्षेत्र होगा।
 
उन्होंने कहा कि हरित क्षेत्र में ऐसे हिस्से शामिल हैं, जो बहुत घने हैं और इसके कुछ हिस्सों में सूरज की रोशनी भी मुश्किल से ही नीचे पहुंच पाती है। हरित क्षेत्र में लगभग 600 मौजूदा पेड़ संरक्षित किए गए हैं। मीडिया के सामने एक प्रस्तुति में राय ने कहा कि मंदिर परिसर अपने तरीके से आत्मनिर्भर होगा और अयोध्या नगर निगम की सीवेज या जल निकासी प्रणाली पर कोई बोझ नहीं डालेगा। उन्होंने कहा कि परिसर में 2 अपशिष्ट जलशोधन संयंत्र (एसटीपी), एक जलशोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) और पॉवर हाउस से एक समर्पित लाइन होगी।
 
राय ने कहा कि मंदिर परिसर में एक दमकल चौकी भी होगी, जो भूमिगत जलाशय से पानी का इस्तेमाल करने में सक्षम होगी। मंदिर का पहला चरण पूरा होने वाला है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के समारोह में भाग लेंगे।
 
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अयोध्या के रामकोट स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय का दौरा किया। मोदी 30 दिसंबर को अयोध्या का दौरा करेंगे और वहां पुनर्विकसित अयोध्या रेलवे स्टेशन और एक नए हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे। अधिकारियों ने पूर्व में कहा था कि वे एक रैली को भी संबोधित करेंगे। मौर्य ने कहा कि उनकी (मोदी की) यात्रा के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और हम सभी तैयार हैं।
 
मंदिर की एक मनोरम तस्वीर ट्रस्ट के कार्यालय की लॉबी में प्रदर्शित की गई है। राम मंदिर परिदृश्य योजना की प्रस्तुति के बाद राय पत्रकारों के साथ मंदिर निर्माण स्थल पर गए। उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रवेश पूर्व की ओर से होगा और निकास दक्षिण की ओर से होगा। संपूर्ण मंदिर का ढांचा कुल मिलाकर 3 मंजिला होगा। मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटक पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ेंगे।
 
राय ने कहा कि पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फुट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।
 
उन्होंने कहा कि भव्य मंदिर में एक आयताकार परिधि परकोटा होगा। इस तरह की संरचना आमतौर पर दक्षिण भारत के मंदिरों में पाई जाती है। राय ने कहा कि परकोटा 14 फुट चौड़ा होगा और इसकी परिधि 732 मीटर तक फैली होगी। परकोटे के चारों कोने सूर्यदेव, मां भगवती, भगवान गणेश और भगवान शिव को समर्पित होंगे। उत्तरी दिशा में मां अन्नपूर्णा के एक मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
 
राय ने कहा कि दक्षिण की तरफ भगवान हनुमान का मंदिर होगा। परिसर में 7 अन्य मंदिरों की योजना बनाई गई है, जो महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या को समर्पित हैं, जो सभी भगवान राम के जीवन से जुड़े हैं, वहीं अयोध्या के कुबेर टीले पर जटायु की मूर्ति स्थापित की गई है।
 
राय ने कहा कि कुबेर टीले पर मौजूद एक प्राचीन शिव मंदिर का भी पुनरुद्धार किया गया है। मंगलवार को जब पीटीआई-भाषा ने निर्माण स्थल का दौरा किया तो मजदूर पत्थर की पट्टियों को तराशने में व्यस्त थे और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले उन्हें अंतिम रूप दे रहे थे।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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