नई दिल्ली। अयोध्या मामले से जुड़े प्रतिवेदनों पर 14 नवंबर को विचार करने से कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा है कि विवादित स्थान पर राम मंदिर बनना चाहिए ताकि देश का मुसलमान 'सुकून, सुरक्षा और सम्मान' के साथ रह सके।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय को जल्द फैसला करना चाहिए ताकि देश में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके। दरअसल, कुछ मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या मामले का हवाला देते हुए आयोग के समक्ष प्रतिवेदन दे रखा है और इस मामले में आयोग से पहल करने की मांग की है। अल्पसंख्यक आयोग 14 नवंबर को अपनी मासिक बैठक में इन प्रतिवेदनों पर विचार करेगा और फिर देश की शीर्ष अदालत से अयोध्या मामले पर जल्द फैसला सुनाने का आग्रह कर सकता है।
रिजवी ने 'भाषा' के साथ बातचीत में कहा कि नेशनल माइनॉरिटी वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन तथा कुछ अन्य संगठनों ने हमारे पास प्रतिवदेन देकर कहा है कि इस वक्त मुस्लिम समाज में डर का माहौल है और ऐसे में आयोग अयोध्या के मामले को लेकर पहल करे ताकि माहौल बेहतर हो सके तथा इन संगठनों का कहना है कि मुस्लिम समाज राम मंदिर बनने दे तथा आगे यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसा कोई दूसरा कोई विवाद खड़ा नहीं होगा।
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि मेरी भी यह राय है कि अयोध्या में न कभी मस्जिद बन सकती है, न नमाज हो सकती है। वह स्थान 100 करोड़ हिन्दुओं की भावना से जुड़ा है इसलिए वह जमीन राम मंदिर के लिए हिन्दुओं को सौंप दी जानी चाहिए ताकि मुसलमान सुकून, सुरक्षा और सम्मान के साथ रहे सकें और देश के विकास में बराबर की भागीदारी कर सकें।
रिजवी ने कहा कि 14 नवंबर की बैठक में हम इन प्रतिवेदनों पर चर्चा करेंगे। यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है और ऐसे में आयोग सिर्फ यही आग्रह कर सकता है कि मामले में जल्द फैसला सुनाया जाए। इस मामले में मेरा भी यह मानना है कि न्यायालय को जल्द फैसला सुनाना चाहिए ताकि समाज में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके।