नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच चल रहे संसद के मॉनसून सत्र में सांसदों ने आयुर्वेद और होम्योपैथी से होने वाले फायदों पर चर्चा की। धनवंतरी, सुश्रुत और चरक का उल्लेख सांसदों ने चर्चा के दौरान किया। राज्यसभा में भी आज आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान विधेयक पर चर्चा के दौरान सांसदों ने गिलोय, च्वयनप्राश, अश्वगंधा और ऐलोवेरा के औषधीय गुणों पर विचार रखे। इस आरजेडी के मनोज झा ने बिना नाम लिए योग गुरु बाबा रामदेव पर भी निशाना साधा। सांसदों ने बिल के समर्थन में अपनी बात रखी।
आज संसद में आयुर्वेद और होम्योपैथी से होने वाले फायदों पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान आरजेडी के मनोज झा ने कहा कि एक महापुरुष ने जून में कहा कि उन्होंने दवाई बना ली है और उन महापुरुष के बयान के बाद टीवी पर चर्चाएं होने लगीं। झा ने कहा कि कोरोना संक्रमण की लड़ाई वैज्ञानिक तरीके से हो। उनका कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन इसको लेकर एक रेग्युलेशन होना चाहिए। कोरोना काल में उनकी सारी दवाइयां बिक गईं जब सवाल उठे तो उन्होंने कहा कि उन्होंने तो इम्यूनिटी बूस्टर बनाया है।
कोरोनाकाल में आयुर्वेद से किस तरह का फायदा लोग उठा रहे हैं, हमें इस पर भी ध्यान देना होगा। बहुजन समाज पार्टी के सांसद सांसद वीर सिंह ने कहा कि मेरे स्वर्गीय नानाजी आयुर्वेद के वैद्य थे। सुबह ही उनके पास सैकड़ों मरीज आते थे। वे सभी को जड़ी-बूटियों से ही सही कर देते थे। उन्होंने आयुर्वेद के विकास का समर्थन करते हुए कहा कि यह काफी फायदेमंद होगा।
जेडीयू के रामचंद्र प्रसाद सिंह आयुर्वेद विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि गुजरात में तीन संस्थानों को साथ लाकर एक नेशनल इंस्टीट्यूट बनाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में आयुर्वेद का बहुत शानदार इतिहास है। धनवंतरी को आयुर्वेद के पितामह है। सुश्रुत, और चरक जैसे विभूतियों ने इस पर काफी काम किया। कोरोनाकाल में दुनिया में सबलोग गिलोय, तुलसी और ऐलोवेरा की चर्चा कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री और आरपीआई सांसद रामदास आठवले संसद में अपने शायराना अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी बात शायरी में ही रखी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान विधेयक का मैं करता हूं समर्थन। इससे बीमारी मुक्त हो जाएगा जन, सबको मुक्त हो जाएगा मन, वो नजदीक आ गया है जाम। वो जो जामनगर में आयुष मंत्रालय के माध्यम से आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान का केंद्र जो बन रहा है उसका मैं समर्थन करता हूं। प्राचीन काल में साधु-संत और बौद्ध भिक्षु आयुर्वेद का उपयोग करते थे। जंगल में रहते थे इसीलिए आयुर्वेद का बहुत बड़ा महत्व है।
आप के राज्यसभा सांसद नारायण दास गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद बहुत प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। आयुर्वेद का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला कोरोना काल में। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की वजह से ही देश में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर कम है। केरल से सीपीआई सांसद बिनोय विस्वाम ने कहा कि कोविड-19 से लड़ने में आयुर्वेद एक महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धित साबित हुई है। होम्योपैथी और आयुर्वेद दोनों विधाओं ने कोरोनावायरस बीमारी को रोकने की क्षमता है। सीपीएम के केके रागेश ने केरल में आयुर्वेद के जरिए इलाज की चर्चा करते हुए कहा कि आयुर्वेद हमारा पारंपरिक सिस्टम रहा है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को केरल आने का आमंत्रण भी दिया।