नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को सभी दलों के सदस्यों ने वर्ष में कम से कम 120 दिन संसद का संचालन करने की मांग करते हुए कहा कि संसद में कामकाज कराने की जिम्मेदारी सरकार की है और सभी सांसदों को इसमें सहयोग करना चाहिए। गैरसरकारी सदस्यों के कामकाज के दौरान शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल के निजी संसद (उत्पादकता में वृद्धि) विधेयक 2017 को चर्चा के लिए पेश करने पर सदस्यों यह मांग की।
विधेयक को पेश करते हुए गुजराल ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के शुरुआती दिनों में संसद साल में 120 दिन तक चलती है लेकिन अब यह अवधि महज 50 से 60 दिन तक सिमट गई है। इससे कई महत्वपूर्ण विधेयक लंबित रहते हैं और जरूरी मुद्दों पर विचार-विमर्श नहीं हो पाता है। संसद के कामकाज में व्यवधान होता है जिससे करदाताओं के करोड़ों रुपए बरबाद हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में आदर्श स्थिति यह होती है कि संसद वर्ष में कम से कम 200 दिन कामकाज करे। अगर यह संभव नहीं हो तो संसद में कामकाज के लिए कम से कम 120 दिन कानूनी रूप से निर्धारित करने चाहिए। इसके अलावा हंगामे, शोर-शराबे या किसी भी अन्य कारण से बरबाद होने वाले समय की भरपाई की जानी चाहिए।
गुजराल ने कहा कि समय कम होने के कारण छोटी पार्टियों और पीछे बैठने वाले सदस्यों को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिल पाता है। संसद का एक विशेष सत्र होना चाहिए जिसमें केवल महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए। इससे कई सारी समस्याओं का समाधान हो सकेगा। (वार्ता)