नई दिल्ली। रेलवे में अवैध टिकट रैकेट को लेकर हाल में की गई सबसे बड़ी कार्रवाई में आरपीएफ ने झारखंड से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। ई-टिकट गिरोह में शामिल यह व्यक्ति मदरसे से पढ़ा हुआ है और खुद ही उसने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करना सीखा है। उसके आतंकी वित्त पोषण से भी जुड़े होने का संदेह है।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि गुलाम मुस्तफा को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया। उसके पास आईआरसीटीसी के 563 निजी आईडी हैं और उसके पास स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) की 2400 शाखाओं और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की 600 शाखाओं की सूची भी मिली, जहां उसके खाते होने के संदेह हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले दस दिनों से आईबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी, एनआईए और कर्नाटक पुलिस ने मुस्तफा से पूछताछ की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में धनशोधन और आतंकवादी वित्त पोषण का भी संदेह है।
कुमार ने गिरोह का सरगना हामिद अशरफ को बताया जिस पर प्रति महीने 10 से 15 करोड़ रुपए बनाने का संदेह है। अशरफ सॉफ्टवेयर डेवलपर भी है, जो 2019 में गोंडा के एक स्कूल में हुए बम कांड में संलिप्त था और संदेह है कि वह दुबई भाग गया है।
आतंकवाद से जुड़े हैं तार : अरुण कुमार ने इस गिरोह का खुलासा किया और बताया कि इसमें एक प्रमुख सूत्रधार समेत 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनके पास उपलब्ध उन्नत तकनीक का भी पता चला है। उन्होंने बताया कि इस गिरोह में 20 हजार से अधिक एजेंटों वाले 200 से 300 पैनल देश भर में सक्रिय हैं और उसका सरगना हामिद अशरफ दुबई में बैठा है।
अशरफ पाकिस्तान के संदिग्ध एवं विवादास्पद संगठन तब्लीक-ए-जमात पाकिस्तान से जुड़ा है। इसमें बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर कंपनी भी साझीदार है और गुरुजी के कूटनाम वाला एक उच्च तकनीकविद् इस गिरोह को सक्रिय मदद देता है। क्रिप्टो करंसी एवं हवाला के माध्यम से पैसा विदेश भेजकर उसका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए करता है।
कुमार ने बताया कि टिकटों की कालाबाज़ारी करने वाले एक गिरोह के एक प्रमुख सदस्य गुलाम मुस्तफा को इसी माह भुवनेश्वर से पकड़ा गया और उससे पूछताछ में इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि इस गिरोह के पास फर्जी आधार कार्ड एवं फर्जी पैन कार्ड बनाने की तकनीक है और बांग्लादेश से लोगों को अवैध रूप से लाने एवं यहां बसाने का काम भी कर रहा था। इस प्रकार से इस मामले की संवेदनशीलता बढ़ गयी है और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे वाली बात है।
खुलासे के बाद इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), गुप्तचर ब्यूरो (आईबी), प्रवर्तन निदेशालय, कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच इकाई आदि एजेंसियां भी जुड़ गई हैं।