कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद रेलवे बोर्ड ने जारी किए एकीकृत सहायक नियम

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (05:00 IST)
नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड ने देशभर के सभी 17 रेलवे जोनों के लिए 'एकीकृत सहायक नियम' (Integrated Subsidiary Rules) जारी किए हैं ताकि स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली की विफलता के दौरान रेलगाड़ियों के संचालन के लिए स्टेशन मास्टर, लोको पायलट और ट्रेन प्रबंधकों को निर्देश दिए जा सकें। नियम 16 ​​अगस्त को जारी किए गए।
 
रेलवे बोर्ड ने सहायक नियमों को एकीकृत करने की प्रक्रिया रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) द्वारा उस मामले में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद शुरू की थी जिसमें 17 जून को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में एक मालगाड़ी ने खड़ी हुई कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी थी जिसमें मालगाड़ी के लोको पायलट सहित 10 लोगों की मौत हो गई थी।

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बोर्ड को 11 जुलाई को सौंपी गई सीआरएस रिपोर्ट में विभिन्न रेलवे जोन के सहायक नियमों में एकरूपता लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, क्योंकि जोन से जोन में भिन्नता के कारण अनिश्चितता और सुरक्षित ट्रेन संचालन में बाधाएं पैदा हो रही थीं। सीआरएस ने इन भिन्नताओं को भी दुर्घटना के कारणों में से एक माना।
 
एक रेलवे सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने सामान्य नियम जारी किए हैं, जो सुरक्षित रेल परिचालन के लिए जोनों को दिए जाने वाले निर्देशों के व्यापक ढांचे की तरह हैं। इन सामान्य नियमों के आधार पर विभिन्न जोन ने अपने स्वयं के सहायक नियम (एसआर) विकसित किए हैं, जो कुछ मामलों में भिन्न हैं जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है और सुरक्षित रेल परिचालन को खतरा पैदा होता है।

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सीआरएस ने अपनी सिफारिशों में कहा कि रेलवे बोर्ड ने वर्ष 1976 में जीआर जारी किया था, तब से जीआर में कई बदलाव हुए हैं। जीआर को संशोधित करने और फिर से जारी करने की आवश्यकता है। इसके अलावा संबंधित एसआर जोनल रेलवे में अलग-अलग है। रेलवे बोर्ड द्वारा जोनल रेलवे के एसआर में यथासंभव एकरूपता लाने की आवश्यकता है।
 
सीआरएस रिपोर्ट के बाद बोर्ड ने सिग्नल विफलता के दौरान रेलगाड़ियों के संचालन में इन बदलावों पर विचार करने तथा सभी जोनों पर लागू होने वाले एकीकृत एसआर तैयार करने के लिए 4 सदस्यीय समिति गठित की। समिति के समक्ष विचाराधीन नियम सामान्य नियम 9.12 था, जो स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली की विफलता के दौरान रेलगाड़ी संचालन प्रक्रिया के बारे में स्थिति स्पष्ट करता है।

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समिति की सिफारिशों में से एक यह है कि यदि 2 स्टेशनों के बीच सिग्नल खराब हैं तो लोको पायलट को प्रत्येक खराब सिग्नल पर दिन में 1 मिनट और रात में 2 मिनट के लिए ट्रेन रोकनी होगी, फिर बहुत सावधानी से आगे बढ़ना होगा। समिति ने किसी रेल डिवीजन के वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (सीनियर डीओएम) या डीओएम (प्रभारी) को यह निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया है कि लंबे समय तक सिग्नल फेल होने का क्या मतलब होगा?
 
अधिकारी ने बताया कि पहले सिग्नल खराब होने की अवधि को लेकर भ्रम की स्थिति थी, क्योंकि सामान्य नियमों में केवल इस बारे में बात की गई थी कि अल्पकालिक विफलता या दीर्घकालिक विफलता के मामले में क्या करना है, अल्पकालिक या दीर्घकालिक विफलता की अवधि निर्दिष्ट नहीं की गई थी। अब समिति ने सीनियर डीओएम या डीओएम (प्रभारी) को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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