नए कृषि कानून‍ किसान की आत्मा पर आक्रमण, देश की नींव होगी कमजोर : राहुल गांधी

Webdunia
शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 (23:11 IST)
चंडीगढ़। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नए कृषि कानूनों को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर अपना हमला तेज करते हुए दावा किया कि ये कानून हर किसान की आत्मा पर आक्रमण हैं तथा इस तरह के कानूनों ने देश की नींव को कमजोर किया है।

उन्होंने कहा कि ये तीनों कानून इस देश के हर किसान की आत्मा पर आक्रमण हैं, ये उनके (किसानों के) खून-पसीने पर आक्रमण हैं। और इस देश के किसान एवं मजदूर इस बात को समझते हैं। राहुल ने पंजाब और हरियाणा की अपनी हालिया यात्रा के दौरान नए कृषि कानूनों के खिलाफ की गई ‘ट्रैक्टर रैलियों’ का जिक्र करते हुए कहा कि मैं कुछ दिन पहले पंजाब और हरियाणा आया तथा हर किसान एवं मजदूर को मालूम है कि ये तीनों कानून उन पर आक्रमण हैं।

उन्होंने कहा कि वे इस बात को लेकर खुश हैं कि पंजाब सरकार ने केंद्र के इन नए कृषि कानूनों को लेकर 19 अक्टूबर को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है, जहां विधायक इन कृषि कानूनों के बारे में फैसला करेंगे।

पंजाब में ‘स्मार्ट गांव अभियान’ के दूसरे चरण की शुरुआत पर डिजिटल संबोधन के दौरान उन्होंने यह कहा। इस अभियान का पहला चरण 2019 में शुरू हुआ था। इस अभियान के तहत करीब 50,000 विभिन्न विकास कार्यों के लिए 2,663 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, उनके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगी भी इस अवसर पर मौजूद थे।

राहुल ने नए कृषि कानूनों को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि यदि हम देश की नींव (किसानों) को कमजोर करेंगे, तो भारत कमजोर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस नींव की रक्षा करने और उसे मजबूत करने की लड़ाई लड़ती है। यही हमारे और केंद्र सरकार के बीच अंतर है। वे (केंद्र) पंचायतों और लोगों को ध्यान में रखे बगैर शीर्ष स्तर से योजनाओं पर जोर देते हैं और उनके कानूनों ने भारत की नींव कमजोर कर दी है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि यदि ये कानून किसानों और मजदूरों के हित में हैं, तो सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में इन्हें पारित कराने से पहले चर्चा क्यों नहीं होने दी? वे चर्चा से क्यों डर गए थे? पूरा देश चर्चा देखता और यह फैसला करता कि क्या ये कानून किसानों के हित में हैं। राहुल ने कहा कि लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में हिन्दुस्तान के किसानों की आवाज दबा दी गई। मैं खुश हूं कि पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में किसानों और मजदूरों की आवाज सुनी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में संसद के मानसून सत्र के दौरान कृषि से संबद्ध तीन विधेयक पारित किए गए थे और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन गए हैं। कांगेस, कई विपक्षी दल और कई किसान संगठन इन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि ये किसानों के हितों को नुकसान और कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाएंगे।

हालांकि केंद्र सरकार ने इससे इनकार करते हुए कहा कि ये नए कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद होंगे और उनकी आय बढ़ाएंगे। राहुल ने अपने संबोधन में कहा, हर इमारत की एक नींव होती है। यदि वह कमजोर होगी तो इमारत ढह जाएगी। यदि विधानसभा इमारत है तो पंचायतें और सरपंच (इसकी) नींव हैं।

यदि हमें पंजाब या भारत को विकसित करना है, तो हमें इस इमारत और उसकी नींव को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि स्मार्ट गांव अभियान इसी की ओर लक्षित है। इस अभियान की शुरूआत को लेकर आयोजित डिजिटल कार्यक्रम में पंजाब के सभी ग्राम पंचायतों ने हिस्सा लिया।

कांग्रेस नेता ने कहा, जब कांग्रेस कोई कार्यक्रम चलाती है, चाहे यह मनरेगा हो, भोजन का अधिकार हो या ग्रामीण बुनियादी ढांचा कार्यक्रम हो, हम इन्हें पंचायतों के माध्यम से चलाते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि यदि हम इसमें पंचायतों को शामिल करेंगे, तो कार्यक्रम कारगर तरीके से चलेंगे। यदि हम पंचायतों और स्थानीय विधायकों को शामिल किए बगैर अपने कार्यक्रमों को शीर्ष स्तर से क्रियान्वित करने पर जोर देंगे तो यह नाकाम रहने वाला है, क्योंकि इसमें जन भागीदारी नहीं होगी।

उन्होंने कहा, मैं दुखी हूं, पंजाब के लोग भी दुखी हैं कि केंद्र पंजाब की आत्मा पर आक्रमण कर रहा है। मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि केंद्र के नए कृषि कानूनों पर सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा होगी, जिसका उद्देश्य किसानों पर इन कानूनों के विनाशकारी प्रभावों का आक्रमकता के साथ एवं प्रभावी तरीके से मुकाबला करना है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इन ‘काले कानूनों’ का मुकाबला करने के लिए हर कदम उठाएगी और पंजाब के किसानों की हिफाजत करेगी। सिंह ने कहा कि वह अपने जीवन का एक-एक दिन पंजाब के लिए समर्पित कर देंगे।उन्होंने लाल डोरा क्षेत्र में लंबे समय से बसे लोगों को संपत्ति का अधिकार देने के सरकार के फैसले की भी घोषणा की।लाल डोरा, ऐसी भूमि को कहते हैं जो गांव के वास स्थान का हिस्सा होता है और इसका उपयोग गैर कृषि कार्यों के लिए किया जाता है।(भाषा)
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