भारत की सामरिक शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी जब फाइटर जेट राफेल उसके साथ शामिल हो जाएगा। भारत के राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के 5 जहाज सोमवार को फ्रांस से भारत के लिए रवाना हो गए हैं। ये लड़ाकू विमान बुधवार को अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है।
भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 4 साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपए का करार किया था। भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिले हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है।
राफेल को ताकतवर बना रही है इसमें लगने वाली मिसाइलें, जिनकी अचूक और सैकड़ों किलोमीटर तक की मारक क्षमता दुश्मनों के खेमे में खलबली मचा देगी। राफेल विमान में मीटोर Air to Air मिसाइल से लैस होगा जिसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है, यह सीमा पार किए बिना दुश्मन देश के विमान को तबाह कर सकता है, जबकि चीन और पाकिस्तान के पास यह क्षमता नहीं है।
मीटोर के अतिरिक्त दूसरा मिसाइल राफेल, स्काल्प होगा। स्काल्प की मारक क्षमता 600 किलोमीटर तक की है। यह अपनी अचूक मारक क्षमता के लिए जाना जाता है। चीन के साथ विवाद के बीच भारत ने हैमर मिसाइल भी इमरजेंसी तौर पर राफेल के लिए खरीदने का फैसला किया है, जिसकी मारक क्षमता 60 किलोमीटर है।