नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 177 करोड़ डॉलर (तकरीबन 11,420 करोड़ रुपए) के फर्जी तथा अनधिकृत लेनदेन का मामला सामने आया है। पीएनबी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के संदिग्ध लेनदेन के बारे में अरबपति आभूषण डिजाइनर नीरव मोदी तथा एक आभूषण कंपनी के खिलाफ अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई है।
जांच एजेंसी के सूत्रों ने आज यहां बताया कि एजेंसी को संदिग्ध लेनदेन के बारे में मंगलवार देर रात शिकायतें मिली थीं। इस संदिग्ध लेनदेन का पता सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने स्वयं लगाया था।
सूत्रों के अनुसार, संदिग्ध लेनदेन बैंकों की शाखाओं से किए जाने की शिकायतें मिलीं और यह लेनदेन करीब 11 हजार 330 करोड़ रुपए का था। आरोपों की जांच की जा रही है और आगे की कार्रवाई के बारे में जल्द ही फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने, हालांकि इससे इतर कोई और जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इससे जांच में बाधा आ सकती है। जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, पीएनबी से मिली एक अन्य शिकायत को लेकर सीबीआई पहले ही नीरव मोदी के खिलाफ जांच कर रही है। इससे पहले दिन में पीएनबी ने खुलासा किया था कि उसने कुछ धोखाधड़ी वाले लेनदेने का पता लगाया है। ये लेनदेन 177.17 करोड़ डॉलर के हैं।
पीएनबी ने बुधवार को शेयर बाजार को बताया कि बैंक ने मुंबई की एक शाखा में फर्जी तथा अनधिकृत लेनदेन का मामला पाया है, जिसमें कुछ चुनिंदा खाताधारकों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है। ऐसा लगता है कि इन लेनदेन के रिकॉर्ड के आधार पर विदेशों में कुछ बैंकों ने उन्हें ऋण दिया है। बैंक ने कहा है कि ये लेनदेन सीमित हैं तथा नियमों के दायरे में जिम्मेवारी तय की जाएगी।
पीएनबी ने बताया कि इस मामले की जानकारी नियामकों को दे दी गई है ताकि वे दोषियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई कर सकें। वित्तीय सेवा विभाग में संयुक्त सचिव लोक रंजन ने बुधवार को यहां एक कार्यक्रम में इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि मैं नहीं समझता कि स्थिति नियंत्रण से बाहर है या यह कोई बड़ी चिंता का विषय है।
पीएनबी ने दूसरे बैंकों को आगाह किया : देर रात पंजाब नेशनल बैंक ने 11,400 करोड़ रुपये की फर्जीवाड़ा की चपेट में आने के बाद दूसरे बैंकों को इस तौर-तरीके को लेकर सावधान किया है।
पीएनबी ने विभिन्न बैंकों को भेजे पत्र में कहा, ‘शुरुआती जांच से यह पता चला है कि मुंबई में हमारी शाखाओं के कर्मचारियों के साथ सांठगांठ करके साजिशकर्ताओं ने संदिग्ध फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया।’
पत्र के मुताबिक यह पाया गया कि संबंधित कंपनियां शाखा में सिर्फ चालू खाता चला रही थीं और किसी भी लेनदेन को केंद्रीकृत बैंकिंग व्यवस्था के जरिए नहीं किया गया।