प्रियंका का सरकार से सवाल, कहां हैं 2 करोड़ नौकरियां, 30 लाख पद खाली क्यों हैं?
महंगाई आज चरम पर क्यों है?
Priyanka Gandhi Vadra's question to Modi government : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) वाद्रा ने अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि सालाना 2 करोड़ नौकरियां (jobs) कहां हैं और 30 लाख सरकारी पद खाली क्यों हैं? उन्होंने यह सवाल भी किया कि कॉर्पोरेट का 16 लाख करोड़ रुपए माफ हो गया लेकिन हमारे किसान कर्ज से आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?
2 करोड़ नौकरियां कहां हैं? : प्रियंका गांधी वाद्रा ने 'एक्स' पर पोस्ट किया कि मेरे विकास का हिसाब दो। देश के कुल बेरोजगारों में 83 प्रतिशत युवा क्यों हैं? सालाना 2 करोड़ नौकरियां कहां हैं? देश में 30 लाख सरकारी पद खाली क्यों हैं? हर परीक्षा का पेपर लीक क्यों होता है? उन्होंने यह सवाल भी किया कि कॉर्पोरेट का 16 लाख करोड़ रुपए माफ हो गया लेकिन हमारे किसान कर्ज से आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? किसानों की आय दोगुनी कब होगी? किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य कब मिलेगा? देश के पदों और संसाधानों में हमारे दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक और गरीब सवर्णों की उचित भागीदारी क्यों नहीं है?
महंगाई आज चरम पर क्यों है? : प्रियंका गांधी ने कहा कि महंगाई आज चरम पर क्यों है? घर चलाना मुश्किल क्यों है? आम लोग अपना परिवार क्यों नहीं चला पा रहे हैं? महिलाओं के साथ अत्याचार क्यों बढ़ रहे हैं? महिलाओं पर अत्याचार करने वाले अपराधियों को संरक्षण देना कब बंद होगा?
महासचिव जयराम रमेश ने भी किया सवाल : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के मजदूरी दर में बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी पार्टी 'श्रमिक न्याय' गारंटी के तहत इस योजना के लिए दैनिक मजदूरी 400 रुपए से कम करेगी।
उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया कि मोदी सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए मनरेगा मजदूरी दर में संशोधन किया है। नई दरें 1 अप्रैल से लागू होंगी। अभी इस मुद्दे को छोड़ दें कि क्या यह आगामी चुनावों के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है? फिर भी सरकार द्वारा सभी राज्यों के लिए घोषित दैनिक मजदूरी की दरें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के श्रमिक न्याय गारंटी के तहत घोषित 400 रुपए प्रतिदिन से बेहद कम हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta