बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अपने संबोधन में मैसूर के पूर्व शासक टीपू सुल्तान की प्रशंसा करने पर विवाद उत्पन्न हो गया तथा विपक्ष ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से माफी की मांग की है।
विपक्ष के नेता केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस को राष्ट्रपति के अभिभाषण में टीपू का नाम शामिल करके कोविंद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए था। कोविंद ने जो भाषण पढ़ा, उसे राज्य सरकार ने तैयार किया था। इस तरह के अधिवेशन के दौरान राज्यपाल भी उसी भाषण को पढ़ते हैं, जो उन्हें तैयार करके दे दिया जाता है।
ईश्वरप्पा ने पत्रकारों से कहा कि सिद्दारमैया द्वारा राष्ट्रपति का भविष्य में भी दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को इस तरह का अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए। जनता दल (सेकुलर) के नेता सदन वाईएसवी दत्ता ने राष्ट्रपति के द्वारा टीपू का नाम लिए जाने का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कोविंद द्वारा टीपू के नाम का उल्लेख करने में लिया जाना कुछ गलत नहीं है।
विधानसभा के अध्यक्ष केबी कोलिवाड़ तथा विधान परिषद के सभापति डीएच शंकरमूर्ति ने भी राष्ट्रपति द्वारा टीपू का नाम लिए जाने का बचाव करते हुए कहा कि भाषण में टीपू का नाम शामिल करना कोई गलत बात नहीं है। कोविंद ने कर्नाटक विधानसभा के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए टीपू को एक ऐसा योद्धा करार दिया, जो अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।
कर्नाटक सरकार 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मनाने जा रही है जिसका केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े और सांसद शोभा खारंडलजे समेत कई भाजपा नेताओं ने विरोध किया है। हेगड़े ने कहा कि कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों की सूची में अगर उनका नाम नहीं हटाया गया तो वे कार्यक्रम स्थल पर सिद्दारमैया के समक्ष प्रदर्शन करेंगे। कर्नाटक में पिछले 2 साल से टीपू जयंती मनाई जा रही है। (वार्ता)