Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ऐतिहासिक, युगांतकारी आयोजन के रूप में होगा इसका मूल्यांकन

26 जनवरी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का देश के नाम सम्बोधन

Advertiesment
हमें फॉलो करें President  Draupadi Murmu

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 25 जनवरी 2024 (19:18 IST)
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवारको कहा कि भविष्य में जब भी इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा तब इसका मूल्यांकन भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में किया जाएगा।
 
राष्ट्रपति ने 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में विश्व के कई देशों के बीच चल रहे संघर्षों व मानवीय त्रासदियों पर चिंता जताई। साथ ही भगवान बुद्ध से लेकर वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक के अहिंसा के मार्ग को अपनाने का उल्लेख करते हुए उम्मीद जताई कि शांति स्थापित करने के रास्ते खोज लिए जाएंगे।
 
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लोगों का जीवन सुगम बनाने के लिए अनेक समयबद्ध योजनाएं क्रियान्वित कर रही है और ये किसी भी राजनीतिक या आर्थिक विचारधारा से परे हैं। उन्होंने कहा कि इन्हें (योजनाओं को) मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए।
 
देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा।’’
 
उन्होंने कहा कि भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ और अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है।
 
उन्होंने कहा कि यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है,बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।
 
रूस-यूक्रेन और हमास-इजराइल के मध्य जारी संघर्षों के बीच राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जब दो परस्पर विरोधी पक्षों में से प्रत्येक मानता है कि केवल उसी की बात सही है और दूसरे की बात गलत है तो ऐसी स्थिति में समाधान-परक तर्क के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से तर्क के स्थान पर आपसी भय और पूर्वाग्रहों ने भावावेश को बढ़ावा दिया है, जिसके कारण अनवरत हिंसा हो रही है।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि बड़े पैमाने पर मानवीय त्रासदियों की अनेक दुखद घटनाएं हुई हैं और पूरा देश इस मानवीय पीड़ा से अत्यंत व्यथित है।
 
उन्होंने भगवान बुद्ध के शब्द ‘न हि वेरेन वेरानि, सम्मन्तीध कुदाचनम्, अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तनो’ का उल्लेख किया जिसका अर्थ है कि यहां कभी भी शत्रुता को शत्रुता के माध्यम से शांत नहीं किया जाता है, बल्कि अ-शत्रुता के माध्यम से शांत किया जाता है। यही शाश्वत नियम है।
 
राष्ट्रपति ने बुद्ध के साथ ही वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक को याद किया और कहा कि भारत ने सदैव एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अहिंसा केवल एक आदर्श मात्र नहीं है जिसे हासिल करना कठिन हो, बल्कि यह एक स्पष्ट संभावना है।
 
उन्होंने कहा कि यही नहीं, अपितु अनेक लोगों के लिए यह एक जीवंत यथार्थ है। हम आशा करते हैं कि संघर्षों में उलझे क्षेत्रों में, उन संघर्षों को सुलझाने तथा शांति स्थापित करने के मार्ग खोज लिए जाएंगे।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि देश के सभी नागरिकों के जीवन-यापन को सुगम बनाने के लिए अनेक समयबद्ध योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं।
 
उन्होंने कहा कि घर में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता से लेकर अपना घर होने के सुरक्षा-जनक अनुभव तक, ये सभी बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएं हैं, न कि विशेष सुविधाएं।
 
उन्होंने कहा कि ये मुद्दे, किसी भी राजनीतिक या आर्थिक विचारधारा से परे हैं और इन्हें मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने केवल जन-कल्याण योजनाओं का विस्तार और संवर्धन ही नहीं किया है, अपितु जन-कल्याण की अवधारणा को भी नया अर्थ प्रदान किया है।
 
उन्होंने कहा कि हम सभी उस दिन गर्व का अनुभव करेंगे जब भारत ऐसे कुछ देशों में शामिल हो जाएगा जहां शायद ही कोई बेघर हो।
 
मुर्मू ने कहा कि समावेशी कल्याण की इसी सोच के साथ ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में डिजिटल विभाजन को पाटने और वंचित वर्गों के विद्यार्थियों के हित में, समानता पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण को समुचित प्राथमिकता दी जा रही है।
 
उन्होंने कहा कि ‘आयुष्मान भारत योजना’ के विस्तारित सुरक्षा कवच के तहत सभी लाभार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इस संरक्षण से गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों में एक बहुत बड़ा विश्वास जगा है। भाषा

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जयपुर में मोदी और मैक्रों का रोड शो, झलक देखने के लिए उमड़ा जनसैलाब