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प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या माफी बहुत बुरा शब्द है?

हमें फॉलो करें प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या माफी बहुत बुरा शब्द है?
, मंगलवार, 25 अगस्त 2020 (16:32 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अवमानना के दोषी अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर खेद नहीं जताने के अपने रुख पर 'फिर से विचार' करने के लिए मंगलवार को 30 मिनट का समय दिया।
 
शीर्ष अदालत ने भूषण को एक और मौका दिया जब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उनके लिए माफी का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जब भूषण के ‘अवहेलना’ वाले बयान पर उनके विचार पूछे जानने पर शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि उन्हें (भूषण को) सभी बयान वापस लेने चाहिए और खेद प्रकट करना चाहिए।
 
भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा- न सिर्फ भूषण से संबंधित अवमानना के मामले को बंद किया जाए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय की ओर से ‘स्टेट्समैन’ जैसा संदेश दिया जाना चाहिए। धवन ने कहा कि भूषण को दोषी करार देने वाले फैसले को वापस लिया जाना चाहिए, उन्हें किसी प्रकार की सजा नहीं दी जानी चाहिए। वहीं, अदालत ने कहा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है? 
 
प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ किए गए उनके दो ट्वीट पर शीर्ष अदालत में माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्होंने जो कहा वह उनका वास्तविक विश्वास है, जिसपर वह कायम हैं। पीठ ने पूछा, “भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय चरमरा गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है।
 
पीठ ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेशों के जरिए बोलती है और अपने हलफनामे में भी, भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अदालत को उन्हें चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए।
पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि जब भूषण को लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें इसे न दोहराने की सलाह देने का क्या मतलब है। एक व्यक्ति को गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे।
 
शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को, भूषण को माफी मांगने से इनकार करने के उनके 'अपमानजनक बयान' पर फिर से विचार करने और न्यायपालिका के खिलाफ उनके अवामाननाकारी ट्वीट के लिए 'बिना शर्त माफी मांगने' के लिए 24 अगस्त का समय दिया था तथा उनकी इस दलील को अस्वीकार कर दिया था कि सजा की अवधि अन्य पीठ द्वारा तय की जाए।
 

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