राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है वाले बयान पर राजनीतिक गलियारों से खूब प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
एक तरफ असदुद्दीन ओवैसी और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने भागवत के बयान पर पलटवार किया है तो वहीं, दूसरी ओर बीजेपी और वीएचपी ने इसका स्वागत किया है।
ओवैसी ने एक के बाद एक ट्वीट करके कहा, आरएसएस के भागवत ने कहा लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा, लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है
औवसी ने आगे कहा, केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहां बीजेपी का प्रवक्ता पूछता है कि क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?
उन्होंने कहा, केंद्रीय कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, अगर आप अपने व्यक्त किए गए विचारों के प्रति ईमानदार हैं तो बीजेपी में वे सब नेता, जिन्होंने निर्दोष मुसलमानों को प्रताड़ित किया है, उन्हें उनके पदों से तत्काल हटाने का निर्देश दें। शुरूआत नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ से करें। मोहन भागवत जी यह विचार क्या आप अपने शिष्यों, प्रचारकों, विश्व हिंदू परिषद/ बजरंग दल कार्यकर्ताओं को भी देंगे? क्या यह शिक्षा आप मोदीशाह जी और बीजेपी के मुख्यमंत्री को भी देंगे?