मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में शुक्रवार तक शिवसेना (Shiv Sena) एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) को लेकर सरकार बना रही थी, उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने पर सहमति भी लगभग बन गई थी कि अचानक शनिवार को बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया।
शनिवार सुबह अचानक राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी ने देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। रातभर में भाजपा ने पूरी बाजी पलट दी। जहां शरद पवार को सियासी संग्राम का किंगमेकर माना जा रहा था, वहीं उनके भतीजे अजित पवार किंगमेकर बन गए।
शनिवार तड़के 5.47 बजे महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया। मीडिया में ये खबरें आईं कि देवेन्द्र फडणवीस ने शुक्रवार रात को ही राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था। अजित पवार ने एनसीपी विधायकों का समर्थन पत्र भी सौंपा था।
एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने अब अजित पवार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने विधायकों के हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल किया है। मलिक ने कहा कि अजित ने विधायकों की हाजिरी के लिए हस्ताक्षर लिए और फिर उन्होंने इसे समर्थन पत्र के तौर पर राज्यपाल को सौंप दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अजित ने एनसीपी के साथ ही विधायकों को भी धोखे में रखा।
राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि भाजपा की सरकार बनाने का उनका नहीं, अजित पवार का फैसला है। इस फैसले में मेरा कोई संबंध नहीं है। शिवसेना नेता एवं सांसद संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने महाराष्ट्र की जनता और राकांपा प्रमुख शरद पवार को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि कल शुक्रवार तक राकांपा के अजित पवार बैठक में शामिल थे, लेकिन वे आंख से आंख नहीं मिला पा रहे थे जिससे उन पर शंका हो रही थी।
राउत ने कहा कि अजित पवार की जगह जेल में थी जिसके डर से अपने बचाव के लिए उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया है। अब 30 नवंबर तक देवेन्द्र फडणवीस को बहुमत साबित करना है और वे बहुमत को लेकर पूरे विश्वास में हैं। उनके पास बहुमत के लिए संख्या पूरी है और उसी के आधार पर राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी ने उनको शपथ दिलाई है।