नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच दूरियां स्पष्ट नजर आईं। मोदी जिनपिंग के साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से दूरी बनाकर रखी। उन्होंने इन नेताओं से हाथ भी नहीं मिलाया। हालांकि रूस के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के दौरान मोदी और पुतिन के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई।
दरअसल, गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 2020 में हुई झड़प के बाद यह पहला अवसर था, जब मोदी और जिनपिंग एक ही मंच पर थे। उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित समिट में दोनों नेता औपचारिक मुलाकात से भी बचते दिखाई दिए। जानकारी के मुताबिक दोनों नेता आसपास ही खड़े थे, लेकिन उन्होंने हाथ नहीं मिलाया। ऐसे समिट के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच तनाव स्पष्ट नजर आया।
मोदी को गुरुवार को ही समिट में पहुंचना था, लेकिन शुक्रवार को समिट से कुछ समय पहले ही वे आयोजन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने डिनर भी अटेंड नहीं किया।
समिट को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया कोरोना काल के बाद चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसी में शंघाई सहयोग संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ के सदस्य देश वैश्विक GDP में करीब 30 फीसदी का योगदान देते हैं और दुनिया की 40 प्रतिशत जनसंख्या भी एससीओ देशों में रहती है।
अगले साल भारत करेगा मेजबानी : अगले साल यानी 2023 में भारत एससीओ समिट की मेजबानी करेगा। इसके लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत को बधाई दी है।