Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पीएम मोदी बोले, पुरानी बेड़ियों को तोड़ेगी नई शिक्षा नीति

हमें फॉलो करें पीएम मोदी बोले, पुरानी बेड़ियों को तोड़ेगी नई शिक्षा नीति
, शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021 (12:48 IST)
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक अहम पड़ाव करार दिया। उन्होंने कहा कि कहा कि यह पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है।
विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इस विश्वविद्यालय में जो व्यवस्थाएं विकसित की थीं वह शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने और आधुनिक बनाने का एक माध्यम थी।
 
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया और अब विश्व भारती को भारत की विश्व कल्याण की भावना का एहसास दुनिया के देशों को कराने के लिए देश की शिक्षण संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए।
 
मोदी ने कहा कि आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वह भी पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। यह शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढ़ने की आजादी देती है। यह शिक्षा नीति, आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है।
 
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति उद्यमिता और स्वरोजगार के साथ ही शोध और नवोन्मेष को भी बढ़ावा देती है।
 
इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और विश्व-भारती के कुलाधिसचिव (रेक्टर) जगदीप धनखड़, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी उपस्थित थे।
 
विश्व-भारती की स्थापना 1921 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। यह देश का सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय है। मई 1951 में संसद के एक अधिनियम के जरिये विश्व-भारती को केंद्रीय विश्वविद्यालय और 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

डॉ. हर्षवर्धन बोले, कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार 50 से 90 प्रतिशत की दर से बढ़ा