नई दिल्ली। जीएसटी लागू करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे जुड़ी 18 बैठकों की तुलना श्रीमद् भगवत गीता के 18 अध्यायों से की।
संसद के केंद्रीय कक्ष में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि जीएसटी के संदर्भ में जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को 18वीं बैठक हुई और सभी बैठकों में सर्वसम्मति से निर्णय किए गए। गीता के भी 18 अध्याय है। यह संयोग की बात है।
उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माण के दौरान 2 वर्ष 11 महीने 17 दिन तक विभिन्न विद्वानों ने विचार विमर्श किया। उस समय वाद विवाद भी होते थे, राजी-नाराजी भी होते थे लेकिन रास्ते खोजे जाते थे। कभी किसी विषय पर आर पार नहीं जा पाए तब भी रास्ते खोजे जाते थे। ठीक उसी प्रकार की प्रक्रिया जीएसटी की चली। केंद्र और राज्यों ने कई साल तक चर्चा की। वर्तमान और पूर्व सांसदों ने चर्चा की। देश के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों ने चर्चा की।
मोदी ने कहा कि जब संविधान बना तब समान अधिकार और समान अवसर प्रदान करने पर जोर दिया गया। और आज जीएसटी के जरिये राज्यों को धागे में पिरोने के साथ नई आथर्कि व्यवस्था लाने का प्रयास किया गया है। यह टीम इंडिया और सहकारी संघवाद की भावना का परिचायक है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में चाणक्य और रिग वेद की सूक्तियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कर प्रणाली की जटिलता का जिक्र करते हुए मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को भी याद किया। आइंस्टीन ने कहा था कि वह कभी आयकर को नहीं समझ सकते। (भाषा)