नई दिल्ली। वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने कर विभाग द्वारा अदालतों और अधिकरणों में अपील दायर करने की मौद्रिक सीमा बढ़ाने का निर्णय किया है। इससे सरकार को कानूनी विवादों में 41% कमी लाने में मदद मिलेगी। फिलहाल करीब पांच लाख करोड़ रुपए का राजस्व कानूनी वादों के चलते अटका पड़ा है।
वित्तमंत्री ने कहा कि अभी कर विभाग आयकर अपीलीय अधिकरण और सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर अपीलीय अधिकरण में केवल उन्हीं मामलों में अपील दायर कर सकता है, जिसमें 10 लाख रुपए की कर राशि शामिल है, इस सीमा को बढ़ाकर 20 लाख या उससे अधिक कर दिया गया है।
इसी प्रकार वर्तमान में कर विभाग उच्च न्यायालयों में 20 लाख से अधिक कर राशि के मामलों में ही अपील दायर कर सकता है, इस सीमा को अब बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय में दायर किए जाने वाले कर मामलों की मौजूदा सीमा अभी 25 लाख रुपए है, जिसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है।
गोयल ने कहा कि इससे लोगों का कर प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा। वहीं ईमानदार, छोटे और मध्यम दर्जे के कर दाताओं को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से हर तरह के कर वादों में 41% की कमी आएगी। इस सीमा को बढ़ाए जाने का लाभ यह होगा कि आयकर अपीलीय अधिकरण में दाखिल 34% कर मामले खत्म हो जाएंगे, जबकि उच्च न्यायालय में दाखिल 48% और उच्चतम न्यायालय में 54% मामले खत्म हो जाएंगे।
गोयल ने कहा कि कई बार देखा गया है कि कर वसूली की राशि से ज्यादा वाद की लागत हो जाती है, ऐसे में इस कदम से इसे कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह कर दाताओं को भी राहत देगा। उन्होंने कहा कि अपील केवल उन्हीं मामलों में की जाएगी जहां कोई महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दा शामिल होगा। (भाषा)