नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण को लेकर देश के हेल्थकेयर वर्कर्स पर की गई एक स्टडी में महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। इस अध्ययन में पता चला है कि टीकाकरण (Vaccination) की वजह से भारत में हजारों लोगों की जानें बची हैं।
नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य वीके पॉल ने इस स्टडी के बारे में शुक्रवार को जानकारी दी। दरअसल, हेल्थ वर्कर्स सबसे ज्यादा खतरे वाली जगहों पर काम करते हैं, जहां उन्हें सीधे संक्रमण का खतरा बना रहता है। कोरोना की दूसरी लहर में हुई कई लोगों की मौत और अस्पताल में बेडों की कमी देखने को मिली थी।
वीके पॉल ने शुक्रवार को कहा कि जिन व्यक्तियों का टीकाकरण हो चुका है उन्हें यदि संक्रमण होता भी है तो अन्य लोगों (जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है) की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 75 से 80 प्रतिशत कम होती है।
पॉल ने कहा कि टीकाकरण वाले व्यक्तियों में ऑक्सीजन सपोर्ट की संभावना मात्र 8 फीसदी के लगभग है, जबकि 6 फीसदी मामलों में ही आईसीयू में भर्ती होने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि देश की नई टीकाकरण नीति 21 जून से प्रभावी हो जाएगी।
सीरो पॉजिटिविटी रेट बराबर : उन्होंने कहा कि WHO-AIIMS के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 18 वर्ष से कम और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में सीरो पॉजिटिविटी रेट लगभग बराबर है। यह रेट 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में 67 प्रतिशत, जबकि 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सीरो पॉजिटिविटी रेट 59 फीसदी है।
पॉल ने बताया कि यह शहरी क्षेत्रों में सीरो पॉजिटिविटी रेट 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में 78% और 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों में 79% है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष से कम आयु के लोगों में यह रेट 56% है, जबकि 18 वर्ष से ऊपर के लोगों में यह 63% है। उन्होंने कहा कि बच्चे संक्रमित थे, लेकिन उनमें यह संक्रमण बहुत ही हल्का था।