नई दिल्ली। ये दो ऐसे इंसान हैं जिनका दावा है कि नाग उनसे बदला ले रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि ये जहां भी जाते हैं, जहां भी रहते हैं। कोई न कोई सांप आकर उन्हें डंस लेता है। ऐसा एक नहीं बल्कि सैकड़ों बार हो चुका है। इन लोगों में से एक हैं इंदर सिंह ठाकुर, जिन्हें सांपों ने 72 बार डंसा है। ठाकुर जहां भी गए, जिस शहर में रहे, नाग वहां पहुंच गए और उन्हें डंसा। वहीं ऐसी ही दूसरी ओर कलादेवी हैं, जिन्हें 152 बार डंसने के बाद भी नागों को अभी चैन नहीं मिला है और मौका मिलते ही उन्हें भी डंसने चले आते हैं।
इंदर सिंह ठाकुर, दिल्ली से करीब 450 किमी दूर हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर के पास में रहते हैं। वे सेना के रिटायर्ड सूबेदार हैं, लेकिन नौकरी में रहते हुए इन्होंने जितनी जंग देश के दुश्मनों से नहीं लड़ी होगी, उससे कहीं बड़ी जंग ये नागों से लड़ते रहे हैं। इंदर सिंह को पिछले 25 साल में 72 बार जहरीले सांपों ने काटा है। ठाकुर के पास कुछ सरकारी दस्तावेज हैं, जिसमें सेना की नौकरी के दौरान उनके हर इलाज का ब्यौरा है।
ऐसी करीब 60 पर्चियां हैं, जिसमें साफ लिखा है कि सेना के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है और वजह है नागों का काटना। हालत यह थी कि इंदर सिंह सांपों से बचकर अस्पताल गए, तो कई बार अस्पताल में भी सांप निकल आए। सांप से इस अजीब दुश्मनी की वजह से कई बार इंदर सिंह का तबादला भी हुआ लेकिन वह जहां-जहां गए, वहां-वहां सांप भी पहुंच जाते और डंसने का सिलसिला शुरु कर देते।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के ठंडे मौसम में सांप मिलते ही नहीं, लेकिन इंदर सिंह पहुंचे, तो वहां भी सांप आ धमके। वह बताते हैं कि कोई एक सांप हो, तो बात समझ में आती है। लेकिन कोबरा, वाइपर, करैत और तमाम तरह के जहरीले सांप आज भी उनके पीछे पड़े हैं। लोगों का कहना है कि इंदर सिंह की सांपों से बरसों पुरानी रंजिश है और शायद इंतकाम की कोई बहुत लंबी लड़ाई है, जो अब तक खत्म नहीं हुई।
सर्पदंश की एक ऐसी ही शिकार कला देवी हैं जोकि मंडी के गेरु गांव में रहती हैं। पहाड़ के ऊपर बसे इस गांव के एक कच्चे मकान में कलादेवी जिंदगी के 78 साल बिता चुकी हैं। इनके चेहरे पर जितनी झुर्रियां हैं, शरीर में सर्पदंश के उससे भी ज्यादा निशान हैं। कलादेवी को अब तक सांपों ने 152 बार डंसा है जबकि उनके परिवार, यहां तक कि आसपास के किसी इंसान पर सांपों ने आज तक कोई हमला नहीं किया।
गेरु गांव में पाए जाने वाले कोबरा और करैत जैसे जहरीले सांपों का दंश अब कलादेवी के लिए रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है, इसलिए अब उन्होंने अस्पतालों का रुख करना भी छोड़ दिया है। कलादेवी को अब सिर्फ झाड़फूंक करने वाले कुछ तांत्रिकों पर ही भरोसा है। कहते हैं कि जब तांत्रिक उनके सामने कुछ जड़ी-बूटियां लहराता हैं, कोई मंत्र फूंकता है और इससे उनकी नागबाधा दूर हो जाती है।
लेकिन मंडी से करीब 30 किलोमीटर दूर एक महुनाग देवता का मंदिर है। कलादेवी इसी मंदिर में तीन महीने रही थीं, लेकिन यहां उन्हें सांप ने नहीं काटा। कहते हैं कि महुनाग देवता का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। पर इस सवाल का कोई उत्तर नहीं मिला कि सांप एक ही आदमी को बार-बार क्यों काटते हैं? क्या वास्तव में कोई सांप इस प्रकार बदला लेता है, कोई नहीं जानता लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस तरह के रहस्य हमारे सामने आते रहते हैं।