मानसून सत्र में संसद ठप, मात्र 18 घंटे हुआ काम, 133 करोड़ से ज्यादा बर्बाद

Webdunia
रविवार, 1 अगस्त 2021 (09:34 IST)
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष के गतिरोध की वजह से संसद का मानसून सत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पहले 2 हफ्तों में संसद के बाधित होने की वजह से जनता के 133 करोड़ से ज्यादा रुपए बर्बाद हुए।
 
अब तक संसद ने संभावित 107 घंटों में से केवल 18 घंटे काम हुआ है। इस प्रकार करीब 89 घंटे बर्बाद हो गए। इसका मतलब है कि करदाताओं का कुल 133 करोड़ रुपए बर्बाद हो गए।
 
मानसून सत्र में विपक्षी दलों के लगातार हंगामे के चलते राज्य सभा के 50 में से 40 घंटे बेकार हो गए और केवल 10 घंटे ही काम हो सका। गतिरोध की वजह से लोकसभा में केवल 7 घंटे ही काम हो सका। 
 
राज्यसभा की कार्यवाही पहले दो सप्ताहों में तय समय का सिर्फ करीब 21.60 प्रतिशत ही चल सकी और दूसरे सप्ताह में यह आंकड़ा 13.70 प्रतिशत का रहा। कुल 50 कार्य घंटों में से 39 घंटे 52 मिनट हंगामे की भेंट चढ़ गए।
 
पहले दो सप्ताहों में नौ बैठकों के दौरान उच्च सदन में केवल एक घंटे 38 मिनट का प्रश्नकाल ही हो सका। चार विधेयकों को पारित करने के लिए केवल एक घंटे 24 मिनट का विधायी कार्य हो सका। हंगामे के चलते सदन में केवल एक मिनट का शून्यकाल हुआ और चार मिनट का विशेष उल्लेख।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PAN 2.0 Project : अब बदल जाएगा आपका PAN कार्ड, QR कोड में होगी पूरी कुंडली

तेलंगाना सरकार ने ठुकराया अडाणी का 100 करोड़ का दान, जानिए क्या है पूरा मामला?

Indore : सावधान, सरकारी योजना, स्कीम और सब्सिडी के नाम पर खाली हो सकता है आपका खाता, इंदौर पुलिस की Cyber Advisory

क्‍या एकनाथ शिंदे छोड़ देंगे राजनीति, CM पर सस्पेंस के बीच शिवसेना UBT ने याद दिलाई प्रतिज्ञा

संभल विवाद के बीच भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर दावा, BJP सांसद ने शिव मंदिर होने के दिए सबूत

सभी देखें

नवीनतम

संभल में कैसे भड़की हिंसा, DM राजेंद्र पेंसिया ने बताई पूरी सचाई

LIVE: बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु गिरफ्तार

दुष्कर्म और कई राज्‍यों में की हत्‍या, 1 दर्जन से ज्‍यादा केस दर्ज, आरोपी गुजरात से गिरफ्तार

Pakistan : इमरान के समर्थकों ने इस्लामाबाद की ओर निकाला मार्च, पीटीआई के शीर्ष नेताओं ने जेल में की मुलाकात

Maharashtra का मुख्यमंत्री चुनने में महायुति को आखिर क्यों हो रही है इतनी देरी

अगला लेख
More