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बाबुल सुप्रियो के राजनीति से संन्यास पर BJP का बयान

हमें फॉलो करें बाबुल सुप्रियो के राजनीति से संन्यास पर BJP का बयान
, शनिवार, 31 जुलाई 2021 (22:55 IST)
कोलकाता। केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल में मंत्री पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को कहा कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है और वह एक सांसद के रूप में इस्तीफा दे देंगे।

 
सुप्रियो ने संकेत दिया कि यह निर्णय आंशिक रूप से उन्होंने मंत्री पद जाने और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेतृत्व के साथ मतभेदों के कारण लिया है। सुप्रियो (50) जिन्होंने 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में कई विभागों को संभाला था, को इस महीने की शुरुआत में एक बड़े मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान हटा दिया गया था।
 
सुप्रियो ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि जा रहा हूं अलविदा। अपने माता-पिता, पत्नी, दोस्तों से बात की और उनकी सलाह सुनने के बाद मैं कह रहा हूं कि मैं जा रहा हूं। मैं किसी अन्य पार्टी में नहीं जा रहा हूं - तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, माकपा, कहीं नहीं। मैं पुष्टि कर रहा हूं कि किसी ने मुझे फोन नहीं किया है। उन्होंने लिखा कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। मैं एक टीम का खिलाड़ी हूं! हमेशा एक टीम मोहन बागान का समर्थन किया है - केवल एक पार्टी के साथ रहा हूं - भाजपा पश्चिम बंगाल। बस!! जा रहा हूं।

 
उन्होंने लिखा कि मैं बहुत लंबे समय तक रहा हूं। मैंने किसी की मदद की है, किसी को निराश किया है, यह लोगों को तय करना है। सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए, आप किसी भी राजनीति में शामिल हुए भी बिना ऐसा कर सकते हैं। हां, मैं सांसद के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। आसनसोल से 2 बार के सांसद सुप्रियो उन कई मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें सात जुलाई को एक बड़े फेरबदल के तहत केंद्रीय मंत्रिपरिषद् से हटा दिया गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के अरूप बिस्वास के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

 
सुप्रियो और देबाश्री चौधरी दोनों को मंत्री पद से हटा दिया गया था। पश्चिम बंगाल के 4 अन्य सांसदों- निशित प्रमाणिक, शांतनु ठाकुर, सुभाष सरकार और जॉन बारला को मंत्रिपरिषद् में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने लिखा कि लेकिन, मुझे एक सवाल का जवाब देना है क्योंकि यह प्रासंगिक है! सवाल यह है कि मैंने राजनीति क्यों छोड़ी? क्या इसका मंत्रालय छोड़ने से कोई लेना-देना है? हां तो यह कुछ हद तक सही है। मैं दिखावा नहीं करना चाहता इसलिए मेरी तरफ से सवालों का जवाब देना सही होगा और इससे मुझे भी शांति मिलेगी।
 
किसी का नाम लिए बगैर सुप्रियो ने कहा कि राज्य नेतृत्व के साथ मतभेद से भी मामलों में कोई मदद नहीं मिल रही है और पार्टी के स्तर पर गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले, कुछ मुद्दों पर राज्य नेतृत्व के साथ असहमति थी - लेकिन कुछ मामले सार्वजनिक रूप से सामने आ रहे थे। कहीं मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं (मैंने एक फेसबुक पोस्ट की जो पार्टी अनुशासन तोड़ने के समान है) और कहीं और अन्य नेता भी बहुत ज्यादा जिम्मेदार हैं, हालांकि मैं इसकी गहराई में नहीं जाना चाहता कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

 
सुप्रियो ने लिखा कि लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच उन असहमति और झगड़ों के कारण जमीन खो रही थी। हमें यह समझने के लिए 'रॉकेट साइंस' के ज्ञान की आवश्यकता नहीं है कि यह किसी भी तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल की मदद नहीं कर रहा है। हालांकि अभी यह पूरी तरह से अवांछित है, इसलिए मैं आसनसोल के लोगों के प्रति अपार कृतज्ञता और प्रेम के साथ जा रहा हूं।
 
उन्होंने कहा कि आज भाजपा बंगाल में मुख्य विपक्षी दल है। पार्टी में आज कई नए होनहार युवा नेताओं के साथ-साथ कई अनुभवी नेता भी हैं। उनके नेतृत्व वाली टीम यहां से काफी आगे जाएगी। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि आज पार्टी में किसी व्यक्ति का होना कोई बड़ी बात नहीं है और इस तथ्य को स्वीकार करना ही सही फैसला होगा।
 
सुप्रियो ने भाजपा के शीर्ष नेताओं- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को उनके प्रति 'उनके प्यार और स्नेह' के लिए धन्यवाद दिया और स्पष्ट किया कि उनका कदम 'सौदेबाजी' के उद्देश्य से नहीं है। उन्होंने लिखा कि पिछले कुछ दिनों से, जब भी मैंने उन्हें अपने फैसले के बारे में बताया था तो उन्होंने मुझे न जाने के लिए मनाने की कोशिश की थी। इसलिए अगर मैं उनके पास इसी दलील के साथ जाता रहा तो वे सोच सकते हैं कि मैं किसी 'पद' के लिए 'सौदेबाजी' कर रहा हूं और ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मैं प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे गलत न समझें और मुझे क्षमा कर दें।
 
पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हैं जो आते हैं और जाते हैं। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्होंने पार्टी से या एक सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया है। मैं फेसबुक या ट्विटर पोस्ट को नहीं देखता, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने सभी को साथ लेने में विफल रहने के लिए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई पर निशाना साधा और सुप्रियो के सोशल मीडिया पोस्ट को 'नाटक' करार दिया।
 
तृणमूल कांग्रेस की राज्य इकाई के महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि बाबुल सुप्रियो नाटक कर रहे हैं क्योंकि उन्हें मंत्रालय से हटा दिया गया है। अगर वह इस्तीफा देने के इच्छुक थे तो उन्हें अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष को भेज देना चाहिए था। इसके बजाय, वह उन चालों में शामिल हैं। लेकिन, यह घटना भाजपा में आंतरिक कलह को भी सामने लाई है।(भाषा)

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