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7 राज्यों में 110 से ज्यादा जगहों पर IT की रेड जारी, राजनीतिक पार्टियों के डोनेशन से जुड़ा है मामला

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, बुधवार, 7 सितम्बर 2022 (17:29 IST)
नई दिल्ली। Income tax news : देश में इन दिनों इनकम टैक्स विभाग की टीम धड़ाधड़ छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दे रही है। इसी कड़ी में आयकर विभाग ने बुधवार को कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) और उनके कथित संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के खिलाफ कई राज्यों में छापेमारी की।
 
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गुजरात, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों में कम से कम 110 ज्यादा स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। आयकर विगाग इसमें पुलिस की मदद ले रहा है। आयकर विभाग के एक दल को मयूर विहार इलाके में एक वकील के कार्यालय में भी देखा गया।
 
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग ने आरयूपीपी, उनसे जुड़ी संस्थाओं, संचालकों और अन्य के खिलाफ उनके आय-व्यय को लेकर समन्वित कार्रवाई शुरू की है। उन्होंने बताया कि कथित तौर पर अवैध तरीकों से अर्जित राजनीतिक चंदे के कुछ अन्य मामलों की भी जांच की जा रही है।
 
ऐसा माना जाता है कि निर्वाचन आयोग (ईसी) की सिफारिश पर विभाग द्वारा अचानक यह कार्रवाई की गई। आयोग ने हाल ही में भौतिक सत्यापन के बाद कम से कम 198 संगठनों को आरयूपीपी की सूची से हटा दिया था।
 
निर्वाचन आयोग ने घोषणा की थी कि वह 2,100 से अधिक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, जो नियमों और चुनाव संबंधी कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं। इनमें कोष संबंधी जानकारी ना देना, चंदा देने वालों के पते और पदाधिकारियों के नामों को जारी ना करना शामिल हैं। आयोग के अनुसार कुछ दल ‘गंभीर’ वित्तीय गड़बड़ी में भी संलिप्त पाए गए हैं।
 
आयोग के अनुसार राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) से रिपोर्ट मिली थी कि सत्यापन के दौरान ये "पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल", 'अस्तित्वहीन' पाए गए। इसके बाद आयोग ने यह कार्रवाई की और चुनाव चिह्न आदेश (1968) के तहत इन दलों को दिए गए विभिन्न लाभों को वापस लेने का फैसला किया।
 
निर्वाचन आयोग ने बताया था कि गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल ऐसे तीन दलों के खिलाफ आवश्यक कानूनी और आपराधिक कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग को जानकारी दी गई है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब 2,800 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं।

छत्तीसगढ़ में भी छापे : छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग ने बुधवार को कई कारोबारियों से जुड़े ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की है। अधिकारियों के मुताबिक रायपुर और रायगढ़ समेत विभिन्न जिलों में आज सुबह से आयकर विभाग की तलाशी जारी है।
 
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय पुलिस बल की सहायता से आयकर विभाग के दल ने इस्पात और कोयले के व्यापार से जुड़े व्यापारियों और सिविल ठेकेदारों के कार्यालय में छापेमारी की। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के संबंध मे अधिक जानकारी नहीं मिली है।
 
राज्य में आयकर विभाग के छापे के संबंध में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विमानतल पर संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने पहले ही कहा था कि राज्य में जल्द ही आय कर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा छापे मारे जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने पहले ही बता दिया है (छापे होंगे)... अब ईडी भी उनका अनुसरण करेगा।‘‘
 
पिछले सप्ताह बघेल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि उनके करीबियों ने उन्हें सूचित किया है कि राज्य में जल्द ही ईडी और आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की जाएगी। उन्होंने कहा था कि पड़ोसी राज्य झारखंड के सत्ताधारी संप्रग गठबंधन के विधायक राजधानी रायपुर में रह रहे हैं इसलिए ईडी और आयकर विभाग द्वारा छापे की कार्रवाई होगी। झारखंड में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने राज्य में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच पिछले सप्ताह मंगलवार को अपने 32 विधायकों को रायपुर भेज दिया था। विधायक नवा रायपुर के रिसॉर्ट में ठहरे हुए हैं।
 
राज्य में आयकर विभाग के छापों को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ऐसी खबर है कि कुछ व्यापारियों के यहा आयकर के छापे पड़े है। मोदी सरकार ने पिछले आठ सालों में केंद्रीय एजेंसियों का इतना दुरुपयोग किया है कि अब तो नियमित जांच में आयकर, ईडी के छापे पड़ते है तो उसके राजनैतिक मंतव्य निकाले जाते हैं। शुक्ला ने कहा कि  लोगों की जुबान में नारा चल रहा केंद्र सरकार के तीन जमाई ईडी, आईटी, सीबीआई।”
 
इस वर्ष जून-जुलाई माह में, आईटी विभाग ने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में एक कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी के परिसरों और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में तैनात एक सरकारी अधिकारी के घर समेत कई जगहों पर छापे की कार्रवाई की थी। 
 
छापेमारी के बाद तिवारी ने दावा किया था कि आईटी विभाग के अधिकारियों ने उनसे कहा था कि अगर वह छत्तीसगढ़ सरकार को गिराने के लिए सत्ताधारी कांग्रेस विधायकों के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हैं तो वह मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

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