नई दिल्ली। पाकिस्तान सरकार अपनी जेलों में कैद भारतीय नागरिकों की पुष्टि के लिए द्विपक्षीय सहमति के अनुरूप भारत सरकार को साझा सत्यापन की अनुमति नहीं दे रही है और न ही वह 54 युद्धबंदियों सहित 74 लापता भारतीय रक्षाकर्मियों की पाकिस्तान में होने की बात स्वीकार कर रही है।
विदेश राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने बुधवार को यहां लोकसभा में प्रश्नकाल में एक सवाल के जवाब में कहा कि इस समय पाकिस्तानी जेलों में 57 भारतीय सिविल कैदी बंद हैं, जिनमें से तीन कैदियों के बारे में अभी पाकिस्तान ने पुष्टि नहीं की है।
उन्होंने बताया कि एक और समझौते में दोनों देशों ने एक-दूसरे को अपनी-अपनी जेलों के निरीक्षण की अनुमति दी है। भारत ने अपनी जेलों का पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल द्वारा निरीक्षण संपन्न करा लिया है लेकिन कई बार के अनुरोध करने के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने अनुमति नहीं दी है। उन्होंने बताया कि भारत के 54 युद्धबंदी सहित 74 नागरिक सीमा पार लापता हुए हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार उनके अपने यहां होने की बात स्वीकार नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश सीमा पर अनजाने में दूसरी ओर चले जाने को मानवीय चूक की बजाय साजिश के रूप में देखता है। इसी प्रकार से मछुआरों के समुद्र में अच्छी मछली के लालच में जल सीमा पार कर जाने पर पकड़ लिया जाता है। इसका पता काफी देर से चल पाता है।
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में शिथिलता आने के बावजूद कैदियों के संबंध में द्विपक्षीय समझौता ठीक प्रकार से काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में भारत ने पाकिस्तान के 10 सिविल कैदियों और नौ मछुआरों को रिहा किया है जबकि पाकिस्तान ने 190 मछुआरों और दो सिविल कैदियों को रिहा किया है। एक जुलाई की स्थिति के अनुसार भारतीय जेलों में पाकिस्तान के 270 सिविल कैदी और 37 मछुआरे बंद हैं।
जनरल सिंह ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के मछुआरों के एक-दूसरे के सुरक्षाबलों द्वारा पकड़े जाने को लेकर इस साल भारतीय तटरक्षक बल और पाकिस्तान मैरीटाइम फोर्स के बीच एक संवाद बैठक आयोजित की गई थी। इसका फायदा हुआ है। (वार्ता)