जम्मू। अगर खुफिया अधिकारियों के रहस्योदघाटनों पर विश्वास करें तो पाक सेना 15 अगस्त से पहले किसी भी हाल में 400 से ज्यादा उन आतंकियों को कश्मीर में धकेलना चाहती है जिनमें दो दर्जन से अधिक तालिबानी आतंकी भी शामिल हैं और उन्हें तबाही मचाने का विशेष टास्क दिया गया है। इन आतंकियों की घुसपैठ आसान बनाने की खातिर एलओसी के पास उसने 27 के करीब लांच पैडों को भी एक्टिव किया है।
सेना मानती है कि पिछले करीब एक हफ्ते से उन पाकिस्तानी पोस्टों से भारी गोलाबारी की जा रही है जहां यह लांच पैड बनाए गए हैं। यही कारण था कि भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के निशाने पर भी यही पोस्टें हैं।
इन लांच पैडों को तबाह करने की खातिर पूरी तरह से युद्ध की तरह का माहौल बना हुआ है। इसमें इस्तेमाल होने वाली मिसाइलों के कारण कई बार यह सवाल उठता था कि आखिर वह सीजफायर है कहां पर जिसकी घोषणा 26 नवम्बर 2003 को की गई थी।
सिर्फ मिसाइल ही नहीं बल्कि कई इलाकों में अब बोफोर्स भी गरज रही हैं। लेकिन चिंता का विषय वह सूचनाएं हैं जिनमें कहा जा रहा है कि इन सबके बावजूद 35 से 40 आतंकी पिछले तीन महीनों के भीतर घुसने में कामयाब रहे हैं। हालांकि इसके प्रति अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो पाई है कि इनमें वे तालिबानी भी शामिल हैं या नहीं जिन्हें आईएसआई ने कश्मीर में खतरनाक हमलों के लिए प्रशिक्षित किया है। सूत्र इसकी पुष्टि जरूर करते थे कि दो दर्जन के करीब तालिबानियों को इसके लिए प्रशिक्षण देकर लांच पैडों पर लाया गया है।
रक्षा प्रवक्ता के अनुसार पाक सेना यूं तो सारा साल ही एलओसी पर घुसपैठ करवाने को आतुर रहती है पर जून से लेकर 15 अक्तूबर तक के समय का वह इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को धकेलने के लिए इसलिए करती है क्यांेकि इस दौरान बर्फ के पिघल जाने से पारंपारिक घुसपैठ के रास्तों से घुसना आसान हो जाता है।
रक्षाधिकारियों के मुताबिक, इस बार घुसपैठ के प्रयासों की खास बात यह कही जा सकती है कि पाक सेना एलओसी पर सीजफायर की घोषणा से पहले का माहौल बनाए हुए है। जब वह प्रतिदिन हजारों की संख्या में गोलियां तथा गोलों की बरसात करती थी। इस ओर से भी उसे भरपूर जवाब मिल रहा है जिस कारण उस पार त्राहि त्राहि का माहौल जरूर है।