देहरादून। कोविड-19 के कारण बिगड़ रहे हालात के मद्देनजर निरंजनी अखाडे द्वारा हरिद्वार महाकुंभ के 17 अप्रैल से समापन की घोषणा किए जाने के बाद अन्य अखाड़े विरोध में उतर आए हैं और इस मसले पर माफी मांगने को कहा है।
निर्वाणी अणि अखाड़ा के अध्यक्ष महंत धर्मदास ने कहा कि कुंभ मेले की समाप्ति की घोषणा का अधिकार केवल मेलाधिकारी या प्रदेश के मुख्यमंत्री को है। उन्होंने कहा कि निरंजनी अखाड़े ने बिना किसी सहमति के ऐसा कहकर समाज में अफरातफरी मचाने का अक्षम्य अपराध किया है और ऐसे में उसके साथ रहना मुश्किल है।
महंत धर्मदास ने कहा कि निरंजनी अखाड़े को अपने ऐसे बयान के लिए पूरे अखाड़ा परिषद के सामने माफी मांगनी चाहिए और तभी उसके साथ आगे बने रहने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उसका यह फैसला ठीक नहीं है क्योंकि कुंभ के बारे में कोई भी फैसला सभी 13 अखाड़े मिलकर लेते हैं।
निरंजनी अखाड़े को अधिकार नहीं : बड़ा उदासीन अखाड़े ने भी साफ किया कि वह जल्द महाकुंभ मेला समाप्त करने के पक्ष में नहीं है। अखाड़े के अध्यक्ष महंत महेश्वर दास ने कहा कि बिना अखाड़ा परिषद की बैठक के महाकुंभ मेला समाप्त करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की व्यवस्था विचार-विमर्श से चलती है, लेकिन निरंजनी अखाड़े ने इस पर अखाडों से कोई बात नहीं की। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला मुहूर्त से शुरू होता है और मुहूर्त से ही समाप्त होता है। उन्होंने कहा कि परंपरा और मर्यादा के साथ कुंभ मेले को पूरी अवधि तक चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक 27 तारीख को होने वाले शाही स्नान की बात है तो उसे कोविड-19 नियमों के साथ किया जाएगा।
गौरतलब है कि दूसरे सबसे बडे अखाड़े निरंजनी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि साधु-संत और श्रद्धालु बड़ी संख्या में कोरोनावायरस से संक्रमित हो रहे हैं जिसे देखते हुए उनकी तरफ से कुंभ मेला समाप्त किया जा रहा है।
अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि निरंजनी अखाड़े के साधु संत 17 अप्रैल को कुंभ क्षेत्र की अपनी छावनियां खाली करके अपने-अपने स्थानों को लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि अखाड़े के जिन संतों को 27 अप्रैल का स्नान करना है, वे बाद में अलग-अलग वापस चले जाएंगे।
सिर्फ एक शाही स्नान बाकी : कोविड-19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ के तीन शाही स्नान- महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और बैसाखी हो चुके हैं, जबकि 27 तारीख को रामनवमी के पर्व पर आखिरी शाही स्नान होना है।
लगातार बढ़ रहे हैं कोरोना केस : देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तराखंड में भी कोरोना वायरस मामलों में लगातार बढ़ोतरी जारी है और रोज रिकॉर्ड नए मरीज सामने आ रहे हैं। हरिद्वार के विभिन्न अखाड़ों के कई साधु-संत भी कोविड-19 की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि भी शामिल हैं। मध्यप्रदेश के चित्रकूट से आए निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव की कोविड-19 के कारण 13 अप्रैल को मृत्यु हो चुकी है।
हरिद्वार महाकुंभ मेला स्वास्थ्य कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पांच अप्रैल से लेकर 14 अप्रैल तक कुंभ मेला क्षेत्र में 68 साधु संतों की जांच रिपोर्ट में उनके महामारी से पीड़ित होने की पुष्टि हो चुकी है।