One Nation, One Election Bill : एक देश, एक चुनाव से संबंधित विधेयकों को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को चिंता जताई और कहा कि इस विषय पर व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है। दूसरी तरफ, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं ने कहा कि इस कदम से सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को एक देश, एक चुनाव को लागू करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी। इन्हें मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। विपक्षी सांसदों ने यह सवाल किया कि क्या देश एकसाथ चुनाव कराने के लिए तैयार है, क्योंकि हाल ही में महाराष्ट्र झारखंड, और जम्मू-कश्मीर में एकसाथ विधानसभा चुनाव नहीं कराए जा सके। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी ने कुछ महीने पहले भी एक देश, एक चुनाव का विरोध किया था और उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
रमेश ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पार्टी के रुख में कुछ बदलाव नहीं हुआ है। खरगे ने समिति को इस साल 17 जनवरी को पत्र लिखकर एक देश, एक चुनाव के विचार का पुरजोर विरोध किया था।
भारतीय जनता पार्टी के नेता और कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, एक देश, एक चुनाव देश के लिए अच्छा होगा। इससे जनता के पैसे को बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने विपक्ष द्वारा व्यक्त की गई आपत्तियों को भी खारिज कर दिया और कहा, उन्हें हर चीज का विरोध करने की आदत है।
भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने भी इस कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा, यह एक महत्वाकांक्षी विधेयक है, लोजपा ने इसका समर्थन किया है... हर छह महीने में किसी न किसी राज्य में चुनाव होता है और नेता उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कई बार जनप्रतिनिधि भी संसद में समय नहीं दे पाते हैं, संसाधन बर्बाद होते हैं।
शिवसेना (उबाठा) के सांसद अनिल देसाई ने कहा, एक देश, एक चुनाव सुनने में अच्छा लगता है। अगर देश उस दिशा में जा सकता है, तो इससे अच्छा कुछ नहीं। लेकिन हकीकत क्या है? क्या चुनाव आयोग इसके लिए तैयार है? क्या हमारे पास पर्याप्त बल, बुनियादी ढांचा है?
उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनाव महाराष्ट्र के साथ कराए जा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यहां तक कि झारखंड का चुनाव भी दो चरणों में हुआ, अगर सरकार के पास कोई समाधान है तो उस पर चर्चा की जा सकती है, लेकिन वर्तमान स्थिति में ऐसा नहीं लगता कि यह हो सकता है।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार चुनावी शुचिता पर उठ रहे सवालों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने कहा कि यह देश की संघीय भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा, एक देश, एक चुनाव उनके उस नारे का हिस्सा है जिसमें वे एक नेता, एक देश, एक विचारधारा, एक भाषा... यह देश की संघीय भावना के खिलाफ है।
द्रमुक नेता तिरुची शिवा ने भी कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। उन्होंने कहा, उन्हें इसे लाने दीजिए, मेरी पार्टी पूरी तरह से इसके खिलाफ है, हमारे पास उठाने के लिए बहुत सारे सवाल हैं और उनका व्यापक तरीके से जवाब देना होगा। शिवा ने सवाल किया कि अगर कोई सरकार अल्पमत में आ गई तो क्या होगा।
बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सदस्य सस्मित पात्रा ने कहा कि इस विषय पर अधिक विचार-विमर्श करने की जरूरत है। उन्होंने सवाल किया, अधिक परामर्श करना होगा। जब बहुमत की कमी होती है, त्रिशंकु विधानसभा या संसद होती है या सरकार बीच में ही विश्वास खो देती है तो क्या होगा?
आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने कहा, मोदी सरकार का एक ही नारा है 'एक देश, एक अडाणी। उन्होंने कहा, अगर एक देश, एक चुनाव होता है तो जब सरकार बीच में ही अल्पमत में आ जाएगी तो क्या होगा? ऐसा होने पर क्या कोई मध्यावधि चुनाव नहीं होगा? (भाषा)
Edited By : Chetan Gour