नई दिल्ली। विभिन्न संगठनों ने 16 अरब डॉलर के वालमार्ट- फ्लिपकार्ट विलय सौदे का विरोध किया है। सौ से अधिक संगठनों का कहना है कि इससे छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान होगा और हजारों लोगों की नौकरियां जाएंगी।
इन संगठनों में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) और आखिल भारतीय किसान सभा शामिल हैं। संगठनों ने एक खुला बयान जारी कर सौदे से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को रेखांकित किया तथा इसे निरस्त करने की मांग की है।
संगठनों ने दलील देते हुए कहा कि सौदे को मंजूरी से देश के खुदरा क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों (वालमार्ट और आमेजन) का द्वैधिकार सृजित होगा तथा इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास बड़े पैमाने पर ग्राहकों के आंकड़े भी उपलब्ध होंगे।
चैंबर और एसोसएिशंस ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीएएमआईटी) के अध्यक्ष मोहन गुरनानी ने कहा, 'वालमार्ट खासकर चीन से सस्ते सामान की आपूर्ति को लेकर अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए जानी जाती है। इससे स्थानीय विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं को नुकसान होगा।'
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने वालमार्ट ने फ्लिपकार्ट में 16 अरब डालर (1.05 लाख करोड़ रुपये) में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण की घोषणा की।
कुल मिलाकर 127 समूह एक साथ आकर वालमार्ट - फ्लिपकार्ट सौदे का विरोध कर रहे हैं। इसमें शामिल अन्य संगठनों में नेशनल फिशवर्कर्स फोरम तथा नेशनल हाकर फेडरेशन शामिल हैं।
वहीं दूसरी तरफ वालमार्ट के कंपनी मामलों के प्रमुख अधिकारी रजनीश कुमार ने कहा कि कंपनी भारत को लेकर प्रतिबद्ध है। (भाषा)