नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वर्ष 2017-18 की तुलना में 2018-19 के दौरान ऑनलाइन आयकर रिटर्न भरने में कमी आने की खबरों का गलत बताते हुए सोमवार को कहा कि इस अवधि में इसमें 19 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सीबीडीटी ने इस संबंध में मीडिया में आई खबरों को गलत बताते हुए कहा कि इन दोनों वित्त वर्ष के आंकड़ों की तुलना नहीं की जा सकती। तथ्यों के आधार पर ऐसा करना सही नहीं है। उसने कहा कि वर्ष 2017-19 में कुल दाखिल आयकर रिटर्न का मात्र 1.5 प्रतिशत अर्थात 9.2 लाख ही पेपर के जरिए दाखिल किए गए थे और वर्ष 2018-19 में यह संख्या घटकर कुल दाखिल रिटर्न में से 4.8 लाख अर्थात 0.6 प्रतिशत पर आ गया।
इससे स्पष्ट है कि आयकरदाताओं ने पेपर रिटर्न भरने के स्थान पर ऑनलाइन रिटर्न भरने को अपना लिया है।
उसने कहा कि वर्ष 2017-18 में 6.74 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए जिसमें से 5.47 करोड़ रिटर्न ऑनलाइन भरे गए थे, जो उसी वर्ष के लिए थे। इसी तरह से वर्ष 2018-19 के लिए 6.68 करोड़ रिटर्न दाखिल किए जिसमें से 6.49 करोड़ रिटर्न वर्ष 2018-19 के लिए थे, जो वर्ष 2017-18 के लिए दाखिल रिटर्न की तुलना में 19 फीसदी अधिक है।
आयकर विभाग के अनुसार इससे स्पष्ट है कि वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में अधिक आयकरदाताओं ने ऑनलाइन रिटर्न भरा है। उसने कहा कि वर्ष 2017-18 में दाखिल रिटर्न में से 1.21 करोड़ रिटर्न वर्ष 2016-17 के लिए थे।
वित्त विधेयक 2017 में किए गए संशोधन के कारण संबंधित आकलन वर्ष के अंत तक ही आयकर रिटर्न भरना होता है। इसके बावजूद वर्ष 2018-19 में 14 लाख रिटर्न वर्ष 2017-18 के लिए भरे गए, जो संशोधित आयकर रिटर्न थे। विभाग ने कहा कि ये सभी आंकड़े उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। (वार्ता)