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ओम बिरला : जमीनी नेता से लोकसभा अध्यक्ष तक

हमें फॉलो करें ओम बिरला : जमीनी नेता से लोकसभा अध्यक्ष तक
नई दिल्ली , बुधवार, 19 जून 2019 (14:23 IST)
नई दिल्ली। राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार भाजपा उम्मीदवार के रुप में सांसद चुने गए ओम बिरला बुधवार को लोकसभा के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए।
 
लोकसभा अध्यक्ष के रूप में बिरला, आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन के उत्तराधिकारी बने हैं। इस पद पर अक्सर वरिष्ठ सदस्यों के चुने जाने की परंपरा के उलट लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले बिरला (56) तुलनात्मक रूप से नए सदस्य हैं।
 
मंगलवार को इस पद के लिये भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के रूप में उनका नाम चौंकाने वाला साबित हुआ जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं उनके नाम का प्रस्ताव किया।
 
बिरला को मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, दोनों का करीबी माना जाता है। लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए बिरला की उम्मीदवारी को कांग्रेस, द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों और गैर राजग दलों बीजद और वाईएसआर कांग्रेस का भी समर्थन मिला। छात्र नेता के रूप में राजनीतिक सफर शुरु करते हुये बिरला राजस्थान विधानसभा के लिये लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में सदस्य चुने गए।
 
वह लोकसभा सदस्य के रूप में पहली बार 2014 में चुने गए और हाल ही में हुए आम चुनाव में भी उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। उन्होंने कोटा-बूंदी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण मीणा को 2.5 लाख से अधिक मतों से पराजित किया।
 
सदन के अनुशासित सदस्य की छवि वाले बिरला की 16वीं लोकसभा में औसत उपस्थिति 86 प्रतिशत रही है। उन्होंने 671 सवाल पूछे और 163 बहस में हिस्सा लिया। उन्होंने छह निजी विधेयक भी पेश किए। इससे पहले 1991 से 2003 तक वह भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रमुख नेता के रूप में पहले संगठन की राजस्थान प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहे और फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
 
वाणिज्य में परास्नातक डिग्री प्राप्त बिरला, ऊर्जा मामलों पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा वह याचिका समिति तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की परामर्श समिति के भी सदस्य रहे हैं।
 
उल्लेखनीय है कि लोकसभा अध्यक्ष पद पर सामान्य रूप से वरिष्ठ सांसद ही चुने जाते रहे हैं, हालांकि इस पद पर पहुंचने वाले बिरला अकेले नहीं हैं जो महज दो बार सांसद चुने गए। तेदेपा के जी एम सी बालयोगी भी दो बार के सांसद थे जो 1996 में लोकसभा अध्यक्ष बने थे। बालयोगी के 2002 में हवाई दुर्घटना में निधन के बाद शिवसेना के नेता और पहली बार सांसद बने मनोहर जोशी भी लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे।
 
बिरला अपने संसदीय क्षेत्र में ‘प्रसादम’ और ‘परिधान’ नाम से सामाजिक संस्थाएं चलाते हैं जिनके माध्यम से जरूरतमंद लोगों को भोजन और कपड़े आदि प्रदान किए जाते हैं। (भाषा) 

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