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Odisha Train Accident: पानी की जगह खून नजर आ रहा, भूख-प्‍यास लगना बंद, हादसे के बाद ये हाल है बचावकर्मियों का

हमें फॉलो करें Odisha Train Accident: पानी की जगह खून नजर आ रहा, भूख-प्‍यास लगना बंद, हादसे के बाद ये हाल है बचावकर्मियों का
, मंगलवार, 6 जून 2023 (17:25 IST)
Odisha Train Accident: बालासोर के ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिला के रख दिया है। मौतों का मंजर देखकर हर कोई सिहर उठा है। लेकिन घायलों और शवों को बेहद करीब से देखने वाले बचावकर्मियों ने जो मंजर देखा उसके बाद तो उनकी भूख और प्‍यास दोनों मिट गए हैं। आलम यह है कि कुछ बचावकर्मी तो इस हादसे से इतने डिप्रेशन में चले गए हैं कि उन्‍हें पानी की जगह खून नजर आता है। ऐसे कई कर्मचारी हैं जो इस हादसे से पूरी तरह से सदमे में हैं और उनकी काउंसलिंग की जा रही हे।

पानी में नजर आता है खून : राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को बताया कि ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटनास्थल (Odisha Train Accident) पर बचाव अभियान में तैनात बल का एक कर्मी जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह नजर आता है, जबकि एक अन्य बचावकर्मी को भूख लगना बंद हो गई है। कई और बचावकर्मियों में इसी तरह के अवसाद के लक्षण देखे जा रहे हैं।

फंसे हुए 121 शव निकाले : बता दें कि बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए NDRF के नौ दलों को तैनात किया गया था। भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में कम से कम 278 लोगों की मौत हो गई और 900 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए।

दरअसल, NDRF के कई जवाना कई घंटों तक घटनास्‍थल पर मौजूद थे। आंकड़ें बताते हैं कि बचाव दल ने 44 से ज्‍यादा पीड़ितों और घायलों का रेस्‍क्‍यू कर उन्‍हें बचाया। जबकि हादसे वाले स्‍थान से 121 से ज्‍यादा शवों को निकालकर उन्‍हें तय जगह पर पहुंचाया।

आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन, 2023 को संबोधित करते हुए करवाल ने कहा, ‘बालासोर ट्रेन हादसे के बाद मैं बचाव अभियान में शामिल कुछ कर्मियों से मिला। एक बचावकर्मी ने बताया कि वह जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है। एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है,ऐसी ही शिकायतें कुछ अन्‍य बचावकर्मियों ने की है।’

काउंसलिंग की जा रही : बालासोर में दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है। जिससे वे फिर से सामान्‍य स्‍थिति में आ सकें।

उन्होंने कहा, ‘अच्छी मानसिक सेहत के लिए ऐसी काउंसलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए कराई जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं’ करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95 प्रतिशत  कर्मी ‘फिट’ पाए गए।Edited: By Navin Rangiyal

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