नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के समन्वयक प्रतीक हजेला को मध्यप्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश दिया है। हालांकि अदालत ने यह नहीं बताया कि हजेला का तबादला क्यों किया गया है।
शीर्ष अदालत ने प्रतिनियुक्ति का आदेश जारी करने के लिए केंद्र सरकार को सात दिन का समय दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस नरीमन की पीठ ने यह आदेश जारी किया है।
कौन हैं प्रतीक हजेला : 48 साल के प्रतीक हजेला 1995 बैच के एक IAS अफसर हैं और मूल रूप से मध्यप्रदेश के भोपाल के रहने वाले हैं। वह असम-मेघालय कैडर के अधिकारी हैं। उन्होंने आइआइटी दिल्ली से 1992 में इलेक्ट्रानिक्स में बी-टेक किया है। असम में उन्होंने गृह आयुक्त के रूप में काम किया। उन्होंने स्पेशल कमिश्नर नियुक्त कर इमरजेंसी ऑपरेशन की ड्यूटी पर तैनात किया गया। बेहद पारदर्शी ढंग से 5000 सिपाहियों की भर्ती के लिए उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा सम्मान भी मिला। UPA-2 के दौरान 5 सितंबर, 2013 को उन्हें एनआरसी अपडेटिंग का प्रभार दिया गया था।
हजेला पर लगे हैं यह आरोप : राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) असम के समन्वयक प्रतीक हजेला (Prateek Hajela) के खिलाफ पुलिस ने 2 एफआईआर दर्ज की हैं। हजेला पर एनआरसी की अंतिम सूची में विसंगति करने का आरोप लगाया गया है। इससे पहले असम भाजपा के कई नेता भी एनआरसी मामले पर अपनी असहमति जता चुके हैं।
असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का कहना है कि 1971 से पहले बांग्लादेश से शरणार्थियों के रूप में आए कई भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं, क्योंकि अधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र लेने से इनकार कर दिया था।