Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

नूंह में हिंसा के बाद अब पलायन, पढ़िए पीड़ित लोगों की आपबीती, सिहर जाएंगे

हमें फॉलो करें नूंह में हिंसा के बाद अब पलायन, पढ़िए पीड़ित लोगों की आपबीती, सिहर जाएंगे
नूंह , गुरुवार, 3 अगस्त 2023 (21:29 IST)
communal violence in Nuh: हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार या तो डर से अपने गृहनगर जा रहे हैं या काम की तलाश में पड़ोसी राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश की ओर पलायन कर रहे हैं। इस सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 6 लोगों की जान चली गई है।
 
मौजूदा स्थिति और कर्फ्यू के कारण पिछले कुछ दिनों से घर के अंदर रहने को मजबूर श्रमिकों और बच्चों सहित उनके परिवारों ने कहा कि वे खाने को मोहताज हैं।
 
उत्तर प्रदेश के औरैया में अपने गृह नगर में बाढ़ के कारण लगभग एक महीने पहले नूंह आए प्रवासी श्रमिक सरताज ने कहा कि वह भी घर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास वापस जाने या अपने परिवार के लिए भोजन उपलब्ध कराने के पैसे नहीं हैं।
 
सरताज ने कहा कि मेरे पास एक ठेला था जिस पर मैं खाने-पीने की चीजें बेचता था। यह गाड़ी औरैया में आई बाढ़ में बह गई थी। मैं नूंह चला आया और यहां एक गाड़ी लगाई और जब चीजें पटरी पर लौट रही थीं तभी हिंसा हो गई। अब मैं फिर से उसी हालत में पहुंच गया हूं। उन्होंने नम आंखों के साथ कहा कि मैं घर वापस जाना चाहता हूं, लेकिन मेरे पास यात्रा करने के लिए पैसे नहीं हैं।
 
शहर बंद है, परिवार भूखा है : चार बच्चों के पिता सरताज ने कहा कि उनका परिवार मंगलवार से भूखा है क्योंकि झड़प के बाद पूरा शहर बंद है। सरताज ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी अब भी गुजारा कर सकते हैं, लेकिन अपने बच्चों को भूख से मरते हुए देखकर मुझे दुख होता है। अमीर और मध्यम वर्ग कहीं और चला जाएगा और अपना जीवन फिर से शुरू कर लेगा, लेकिन हमारे जैसे गरीब मजदूरों का क्या होगा? हमें कहां जाएं?
 
विश्व हिंदू परिषद जलाभिषेक यात्रा को रोकने की कोशिश को लेकर नूंह में भड़की हिंसा पिछले कुछ दिनों में गुरुग्राम तक फैल गई। इस हिंसा में दो होम गार्ड और एक मौलवी समेत 6 लोगों की मौत हो गई है।
 
भले ही बृहस्पतिवार को कर्फ्यू में ढील दी गई और लोगों को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक आवश्यक सामान खरीदने की अनुमति दी गई हो, लेकिन नूंह में कई घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के गेटों पर ताले लगे होने के कारण सन्नाटा पसरा रहा।
 
पिछले 30 वर्षों से नूंह में रहने वाली एक मजदूर साइमा के पति बच्चों के साथ मंगलवार को राजस्थान चले गए और उसके बाद से साइमा घर में अकेली रह रही हैं।
 
साइमा ने कहा कि इस पूरी घटना ने हमारे बीच डर की भावना पैदा कर दी है। हमने इस शहर में झड़पें देखी हैं, लेकिन 1992 (बाबरी मस्जिद विध्वंस) के बाद से इस तरह की हिंसा कभी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि मेरे पति दो दिन पहले 5 बच्चों के साथ चले गए। मेरा गृहनगर पलवल में है, जो नूंह के पास ही है, लेकिन मेरे पास वहां जाने के लिए एक पैसा भी नहीं है।
 
भाग्यशाली हूं, जीवित बच गया : विहिप की जलाभिषेक यात्रा शुरू होने वाली जगह से 200 मीटर दूर फर्नीचर की दुकान चलाने वाले नूंह के एक अन्य निवासी श्रीकिशन (65) ने कहा कि वह हिंसा से हिल गए हैं और भाग्यशाली हैं कि वे जीवित हैं।
 
उन्होंने कहा कि मैं भगवान का आभारी हूं कि जीवित बच गया। वित्तीय नुकसान से निपटा जा सकता है और शायद हमें कुछ महीनों के लिए अपनी खाने-पीने की आदतों से समझौता करना पड़े। मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण यह है कि मेरे परिवार के सदस्य सुरक्षित हैं। झड़प वाले दिन को याद करते हुए श्रीकिशन ने कहा कि उन्होंने लगभग 20 लोगों को आश्रय दिया था जिन पर भीड़ द्वारा पथराव किया जा रहा था।
 
श्रीकिशन ने कहा कि जब झड़पें शुरू हुईं तो मैं केवल धुएं की मोटी चादर और अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे लोगों को देख सका। मैंने कम से कम 20 लोगों को अपनी दुकान के अंदर आने दिया ताकि वे अपनी जान बचा सकें और मुझे इसकी परवाह नहीं थी कि वे हिंदू थे या मुस्लिम। हमने यहां झड़पें देखी हैं, लेकिन 1992 के बाद इस पैमाने पर हिंसा कभी नहीं हुई।
 
नूंह में रहने वाले अधिकांश लोगों ने अधिकारियों से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्र में स्थायी रूप से सुरक्षा बढ़ाने का आग्रह किया है।
 
किराना दुकान चलाने वाले राम सिंह ने कहा कि कर्फ्यू है, हर जगह पुलिसकर्मी हैं, हमें दुकानें खोलने के लिए दो घंटे का समय दिया गया है, प्रवासी श्रमिक अपने गृह नगरों में वापस जा रहे हैं - स्थिति मुझे 2020 के कोविड-19 लॉकडाउन की याद दिलाती है। इससे उबरने में निश्चित रूप से एक या दो महीने लगेंगे। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पाक PM शहबाज ने जताई भारत के साथ बातचीत की इच्‍छा, विदेश मंत्रालय ने दिया यह जवाब...