नई दिल्ली। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी से करदाताओं का दायरा बढ़ा है तथा घरेलू बचत में भी इजाफा हुआ है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है। समीक्षा में कहा गया कि समग्र घरेलू बचत में वित्तीय बचत की हिस्सेदारी पहले ही बढ़ रही है और बाजार के प्रति स्पष्ट झुकाव हो रहा है।
इस परिघटना को नोटबंदी ने भी बढ़ावा दिया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के नेतृत्व में लिखी गई समीक्षा में कहा गया है कि मौसमी उतार-चढ़ाव को छोड़ दिया जाए तो नए करदाताओं में मासिक आधार पर 0.8 प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए, जो सालाना आधार पर करीब 10 प्रतिशत होता है।
हालांकि नवंबर 2017 में नवंबर 2016 की तुलना में 31 प्रतिशत नए करदाता जुड़े। आंकड़ों में यह बड़ा अंतर महत्वपूर्ण है। समीक्षा में कहा गया कि नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के कारण करीब 18 लाख अतिरिक्त करदाता जुड़े हैं, जो कुल करदाताओं का 3 प्रतिशत है।
समीक्षा में कहा गया कि नए करदाताओं ने अधिकांश मामलों में औसत आय करीब 2.5 लाख रुपए दिखाई जिससे राजस्व पर शुरुआती प्रभाव पड़ा। जैसे-जैसे इनकी आय बढ़ेगी और ये आयकर दायरे में आएंगे, राजस्व में तीव्र वृद्धि होगी। समीक्षा में कहा गया कि नोटबंदी और जीएसटी का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना तथा अधिक से अधिक लोगों को कर दायरे में लाना था।