लखनऊ। करदाताओं के एक संगठन ने केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई करार देते हुए दावा किया है कि नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है और विदेशी निवेश में जबरदस्त उछाल आया है।
ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट (जीटीटी) के अध्यक्ष मनीष खेमका ने बुधवार को यहां कहा कि विमुद्रीकरण को लेकर केंद्र के खिलाफ कई राजनीतिक दल और चंद लोग भले ही आक्रामक रवैया अख्तियार करे लेकिन सच्चाई तो यह है कि नोटबंदी का कड़ा फैसला लेने के पीछे मोदी का मकसद सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार पर चोट पहुंचाना था जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे हैं।
विमुद्रीकरण के प्रभाव के बारे में खेमका ने कहा कि वास्तव में नोटबंदी की अनुशंसा सबसे पहले वर्ष 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में वांगचू कमेटी ने की थी हालांकि किसी भी सरकार ने इस दिशा में मोदी सरकार की तरह ठोस फैसला नही लिया।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद देश में करदाताओं की संख्या में खासी बढोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 में देश में 2 करोड़ 90 लाख करदाता थे जबकि चालू वित्त वर्ष में इनकी तादाद बढ़कर 6 करोड़ 85 लाख हो गई है। नोटबंदी के बाद 50 लाख 70 हजार नए करदाता अस्तित्व में आए हैं। (वार्ता)