- 3 दशक में तापमान 1 डिग्री तक हुई बढ़ोतरी
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बादल और बारिश का यह नया ट्रेंड जलवायु परिवर्तन का संकेत
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क्यों और कैसे बदला बारिश ने अपना पैटर्न
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क्या होते हैं क्यूमोलोनिबस बादल जो बने तबाही का कारण
केरल में भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है। चार दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से मौसम वैज्ञानिक भी हैरान हैं। ये कैसी बारिश है बेमौसम। क्योंकि हैरान करने वाली बात यह है कि बिना मानसून के सिर्फ 14 किलोमीटर के दायरे में तूफानी बादलों का प्रकोप नजर आ रहा है। इन बादलों की वजह से आंधी और हवा इतनी तेज है कि पेड को उखाडकर कई किली मीटर दूर फेंक सकती है।
अब वैज्ञानिक इस रिसर्च में जुटे हैं, कि अब तक ऐसा देखने को नहीं मिला, फिर अब ऐसा क्यो हो रहा है, वो भी बेमौमस। इसके पीछे क्या कारण हैं, क्यों बादलों ने आकार बदला और बारिश ने अपना पैटर्न। क्या इसके पीछे तापमान कोई वजह है।
दरअसल, पहले अंदाजा लगाया जा रहा था कि यह प्री- मानसून की बारिश हो सकती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है।
वैज्ञानिकों की अब तक की रिसर्च में सामने आया है कि केरल में बारिश ने अपना पैटर्न बदल दिया है। जिसकी वजह से बिना मॉनसून के ही 14 किलोमीटर के दायरे में तूफानी और तबाही लाने वाले बादलों के आकार देखने को मिल रहे हैं।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में हो रही असमान्य बारिश प्री मॉनसून (Pre Monsoon) की वजह से नहीं हो रही है। मौसम वैज्ञानिक बारिश के इस पैटर्न पर हैरान हैं।
दरअसल, केरल में मॉनसून 27 मई तक दस्तक देने वाला है। लेकिन मॉनसून के बहुत पहले ही भारी बारिश हो रही है। वैज्ञानिकों का कहना है प्री मॉनसून बारिश नहीं है।
क्या है बादलों का नया पैटर्न?
वैज्ञानिकों का कहना है कि नए किस्म के बादल 1 किलोमीटर से लेकर 14 किलोमीटर तक बड़े होते हैं। कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड रिसर्च के ने मीडिया में जो जानकारी दी उसके मुताबिक केरल में 3 दिन से रोज करीब 20 सेंटीमीटर की बारिश देखने को मिल रही है। लोगों को लग रहा है कि यह मॉनसून है, लेकिन यह वास्तव में ऐसा नहीं है।
क्यों हुआ बारिश के पैटर्न में बदलाव?
शोध के मुताबिक देश के पश्चिमी तटों पर कम प्रेशन का क्षेत्र बन रहा है। यह उन बादलों की वजह से नहीं है जो केरल मे हल्की बारिश की वजह बनते थे। ये बादल पहले 7 किलोमीटर के दायरे में होते थे, लेकिन अब ये बादल क्यूमोलोनिबस में बदल गए हैं। यानी ये बादल अब सामान्य से दोगुने ज्यादा हो गए हैं। मतलब जो बादल पहले सामान्य आकार में नजर आते थे, वे अब कम से कम दो गुना बडे हो गए हैं। जाहिर है जब बादलों का आकार बड़ा होगा तो बारिश की क्षमता भी तेज और भारी होगी।
क्या हो रहे नतीजे?
अब जब बादलों का आकार बढ़ गया है, उनका दायरा बढ़ गया है तो जाहिर है, उसके नतीजे भी अगल ही आएंगे। नए किस्म या आकार के बादल केरल में अचानक आंधी-तूफान ला रहे हैं। इनकी वजह से भारी बारिश हो रही है। जैसे पहाड़ों पर बादल फटने की स्थितियां पैदा हो रही हैं। वैज्ञानिक ऐसे बादलों पर पूर्वानुमान भी नहीं लगा सकते हैं। इन्हीं की वजह से पश्चिमी तटों पर बारिश का नया ट्रेंड देखा जा रहा है।
हवा की रफ्तार में भी बदलाव
मानसून के दौरान सामान्यतौर पर केरल में हवा की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है, लेकिन इन दिनों यह रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटे की है। यह आंधी इतनी तेज होती है कि फसलों को बर्बाद कर सकती है और पेड़ों को उखाड़कर कई दूर तक फेंक सकती है।
बारिश के नए ट्रेंड की क्या वजह
बारिश के नए ट्रेंड की वजह पूर्वी अरब की खाड़ी में पड़ रही गर्मी और नमी का तेजी से घुलना है। अरब सागर के सतही तापमान में बढ़ोतरी हुई है। 3 दशक में तापमान एक डिग्री तक बढ़ गया है। यह ट्रेंड जलवायु परिवर्तन का साफ संकेत है।
यह तूफान और बारिश केरल के लिए तबाही का कारण बन सकते हैं। अगर यही पैटर्न जारी रहा तो केरल में साल 2018-19 की तरह भीषण बाढ़ एक बार फिर आ सकती है।
मौसम विशेषज्ञ और पूर्व मौसम वैज्ञानिक, जीडी मिश्रा के साथ वेबदुनिया के साथ खास बातचीत
-क्या केरल में प्री मानसून है
नहीं, केरल में जो हो रहा है वो सिस्टम के कारण है। कहीं सिस्टम बनता है तो ऐसा परिवर्तन आता है। जैसे अभी मराठवाडा से कर्नाटक सिस्टम बन रहा है तो उसके नतीजे भी आएंगे।
-ऐसा परिवर्तन क्यों होता है
कहीं भी सिस्टम बनता है तो ऐसे बदलाव आते हैं, ये सिस्टम की वजह से होता है।
-केरल में बारिश के पैटर्न और बादलों में बदलाव आ रहा है
हो सकता है, हालांकि वहां हरियाली बहुत ज्यादा है, समुंदर है, इससे भारी बारिश सामान्य बात है।
-लेकिन पहले ऐसा कभी हुआ नहीं, जो केरल में हो रहा।
नहीं, ऐसा नहीं है, आप रिकॉर्ड उठाएंगे तो पता चलेगा समय समय पर ऐसी स्थिति बनी है।
-मप्र में मानसून कब आएगा
27 जून को केरल में और 15 से 20 जून के बीच मध्यप्रदेश में आएगा।
जीडी मिश्रा, मौसम विशेषज्ञ, भोपाल