नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में सीवर नालों की हाथ से सफाई के दौरान लोगों की मृत्यु होने पर बुधवार को गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया में कहीं भी लोगों को मरने के लिए गैस चैंबर में नहीं भेजा जाता है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने इस पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए कहा कि हालांकि देश को आजाद हुए 70 साल से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन हमारे यहां जाति के आधार पर अभी भी भेदभाव होता है।
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सवाल किया कि आखिर हाथ से मल साफ करने और सीवर के नाले या मैनहोल की सफाई करने वालों को मास्क और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी सुविधाएं क्यों नहीं मुहैया कराई जातीं।
पीठ ने कहा कि आप उन्हें मास्क और ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों नहीं उपलब्ध कराते? दुनिया के किसी भी देश में लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिए नहीं भेजा जाता है। इस कारण से हर महीने 4-5 व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।