नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। इसे 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई के इस फैसले से लोगों की ईएमआई (EMI) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति को लेकर उदार रुख बरकरार रखा है और वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है। मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया छह पैसे गिरकर 74.90 पर आया।
उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। मौद्रिक नीति समिति ने रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
दास ने कहा कि मुद्रास्फीति चालू तिमाही में बढ़ेगी, लेकिन यह दायरे में रहेगी। अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में नरम होगी। महामारी की तीसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां कुछ प्रभावित, संपर्क से जुड़े क्षेत्रों में मांग नरम हुई है। दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ गया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि अर्थव्यवस्था को महामारी से पहले के स्तर से ऊपर ले जाएगी। आरबीआई ने सीपीआई मुद्रास्फीति के वित्त वर्ष 2021-22 में 5.3% और 2022-23 में 4.5% रहने का अनुमान जताया है।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर बैंकों में अधिशेष नकदी की स्थिति बनी हुई है। आरबीआई ने स्वास्थ्य सेवा, संपर्क आधारित क्षेत्र के लिए हमेशा सुलभ नकदी योजना का विस्तार तीन महीने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि ई-रूपी डिजिटल वाउचर की सीमा 10,000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए तक करने और इसके विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग की अनुमति दी गई है।