नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने और कारोबार के लिए व्यवस्था अधिक सुगम बनाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि मजबूत आर्थिक विकास हासिल करने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना जरूरी है।
मोदी ने नीति आयोग की संचालन परिषद की छठी बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र को भी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा बनने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए।
नीति अयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सम्मेलन में 26 मुख्यमंत्रियों, तीन उपराज्यपालों और दो प्रशासकों ने भाग लिया। पश्चिम बंगाल, पंजाब, तेलंगाना और गुजरात के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके।
प्रधानमंत्री ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब राज्य और केंद्र सरकारों ने एक साथ काम किया तो पूरे देश को सफलता मिली और अच्छी छवि बनी।
मोदी ने कहा कि देश की प्रगति का आधार सहकारी संघवाद है। आज की बैठक में इस बात पर गहन मंथन होगा कि इसे और सार्थक बनाया जाए और प्रतिस्पर्धात्मक सहकारी संघवाद की ओर बढ़ा जाए। उन्होंने कहा कि आज की बैठक का एजेंडा, देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस बार के बजट का जिस तरह से स्वागत हुआ है, वह इस बात का संकेत है कि देश विकास की राह पर अधिक तेजी से आगे बढ़ना चाहता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश मन बना चुका है। देश तेजी से बढ़ाना चाहता है और नहीं चाहता कि समय खराब हो। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की विभिन्न पहल से हर किसी को राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान करने का अवसर मिलेगा।
मोदी ने कहा कि देश की विकास यात्रा में निजी क्षेत्र अब अधिक उत्साह से भाग ले रहा है । उन्होंने कहा, सरकार के नाते हमें निजी क्षेत्र के उत्साह और ऊर्जा का सम्मान करना होगा और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में अधिक अवसर देना होगा।
प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि तिलहन जैसे उत्पादों की पैदावार बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि खाद्य तेल आदि के आयात पर निर्भरता कम हो। उन्होंने कहा, 'किसानों को दिशा देकर ही इसे हासिल किया जा सकता है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य तेलों के आयात में लगभग 65,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जिसे हमारे किसानों के पास जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं के आयात खर्च होने वाला धन किसानों के खाते में तो जा ही सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार की नीतियों से किसानों को उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य आयात घटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को पूंजी और प्रौद्योगिकी प्रदान करने के लिए सुधार जरूरी हैं। मोदी ने लोगों पर नियम कायदों के अनुपालन का बोझ कम करने की आवश्यकता भी जतायी।
प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में राज्यों से समितियां बना कर ऐसे नियम-कायदों को छांटने को कहा जिनकी नयी प्रौद्योगिकी के इस दौर में कोई उपादेयता नहीं रह गयी है। उन्होंने कहा कि आज अनुपालन के बहुत से नियम अनावश्यक हो चले है। उन्हें आसानी से खत्म किया जा सकता है। इससे पहले हम 1500 पुराने कानून हटा चुके हैं।
उन्होंने राज्यों को सलाह दी कि वे उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का पूरा लाभ उटाएं और के जरिये अपने यहां निवेशकों को आकर्षित करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसे युवा देश की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक अवसंरचना का निर्माण किया जाना चाहिए। नवाचार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और शिक्षा और कौशल के बेहतर अवसर के लिए प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार मांग और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए बुनियादी ढ़ांचे के विकास पर खर्च कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जन-धन बैंक खातों के खुलने, मुफ्त बिजली और गैस कनेक्शन तथा समुचित टीकाकरण से गरीबों के जीवन में बदलाव आया है।
मोदी ने स्टर्टअप इकाइयों और सूक्षम, लघु तथा मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को सशक्त बनाने पर बल देते हुए कहा, आत्मनिर्भर भारत केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाना बल्कि शेष विश्व की आवश्यकताओं को भी पूरा करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर गरीब को पक्का घर उपलब्ध कराने का अभियान भी चल रहा है। शहरों और गांवों को मिलाकर, 2014 से अब तक 2 करोड़ 40 लाख से अधिक घरों का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के शुरू होने के 18 महीनों के भीतर 3.5 लाख से अधिक ग्रामीण घरों में पाइप से पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
उन्होंने कहा कि गांवों में इंटरनेट सुविधा के लिए, भारत नेट योजना एक बड़े बदलाव का माध्यम बन रही है। जब केंद्र और राज्य सरकारें ऐसी सभी योजनाओं में एक साथ काम करेंगी तो काम की गति बढ़ेगी और लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि माल और सेवा कर की वसूली मासिक 1.2 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गयी है। राज्य सरकारों की ओर से प्रयास कर इसे और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने राज्यों से 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए समितियां बनाने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष होते हैं। आयोग के शीर्ष निकाय संचालन परिषद में राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रशासित क्षेत्रों के उप-राज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
परिषद की यह छठी बैठक थी। इस बैठक में पहली बार पहली बार लद्दाख शामिल हुआ। जम्मू-कश्मीर ने पहली बार इसमें केंद्रशासित क्षेत्र के रूप में हिस्सा ले रहा है। इस बार अन्य केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासकों को भी आमंत्रित किया गया है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा कि बैठक में छह बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना, कृषि बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन विकास, सेवा वितरण और स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना शामिल हैं। कुमार ने कहा कि बैठक में तीन नए कृषि कानूनों पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि किसी ने भी कृषि कानूनों के बारे में बात नहीं की।
उन्होंने बताया कि ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने विकास के एजेंडे और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री चाहते थे कि राज्य जमीनी स्तर पर विकास को गति देने के लिए जिला निर्यात प्रोत्साहन परिषद का गठन करें।
कुमार ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा में एक विशेष बंदरगाह की मांग की, जिसका समर्थन झारखंड के मुख्यमंत्री सीएम हेमंत सोरेन ने भी किया।
पहली बार लद्दाख ने भी प्रशासनिक परिषद की बैठक में भाग लिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर ने इस बार केंद्र शासित राज्य को रूप में बैठक में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के लागू होने से स्थानीय निकायों के पास संसाधनों में बड़ी वृद्धि होगी।
एक राष्ट्र एक बिजली दर : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को बिजली के लिए "एक राष्ट्र, एक दर" की नीति की वकालत करते हुए कहा कि इससे बिहार जैसे राज्यों को लाभ मिलेगा जिन्हें कई अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दर पर बिजली मिलती है।
अमरिंदर ने उठाया किसानों और जीएसटी का मुद्दा
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से किसानों के असंतोष का तत्काल समाधन सुनिश्चित करने और राज्य को जीएसटी मुआवजा शीघ्र जारी करने की शनिवार को अपील की। सिंह ने नीति आयोग की शासी परिषद की छठी बैठक में अपने रिकॉर्डेड संदेश में यह सुझाव भी दिया कि कोविड-19 टीकाकरण में प्राथमिकताएं तय करने से पूर्व राज्यों से सलाह ली जाए। यह बैठक ऑनलाइन आयोजित की गई थी।
राज्य सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने तीन नए कृषि कानूनों के कारण पैदा हुए व्यवधानके चलते पंजाब के कृषि क्षेत्र पर मंडरा रहे खतरे पर भी चिंता व्यक्त की। सिंह अस्वस्थ होने के कारण इस बैठक में हिस्सा नहीं ले सके।
किसान केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं और उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए। बैठक में सिंह ने कोविड-19 टीके का मुद्दा भी उठाया और केन्द्र से अपील की कि टीकाकरण के लिए प्राथमिकताएं तय करने से पहले राज्यों से भी विचार-विमर्श किया जाए।
उन्होंने केन्द्र से पंजाब के बकाये जीएसटी मुआवजे का भुगतान करने की भी अपील की, जो अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच 8,253 करोड़ रुपए है। इसके अलावा उन्होंने किसानों की समस्याओं और आशंकाओं पर भी विस्तार से जानकारी दी। (इनपुट भाषा)