नई दिल्ली। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि बदली परिस्थितियों और भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए सशस्त्र सेनाओं का एकीकरण समय की जरूरत है और यह उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।
श्रीमती सीतारमण ने यहां सेना कमांडरों के सम्मेलन के दूसरे दिन शीर्ष सैन्य कमांडरों को संबोधित करते हुए डोकलाम गतिरोध के दौरान भारतीय सेना की पेशेवर कार्यशैली की जमकर सराहना की।
अपने आधे घंटे के संबोधन में उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अग्रिम मोर्चों का दौरा किया और वहां जाकर उन्हें पता चला कि भारतीय सैनिक किन प्रतिकूल हालातों में अपने कर्तव्य को अंजाम दे रहे हैं। सैनिकों ने न केवल डोकलाम गतिरोध जैसी विकट स्थिति का पेशेवर ढंग से मुकाबला किया बल्कि वे पूर्वोत्तर में उग्रवाद पर लगाम लगाने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के समय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
रक्षामंत्री ने भरोसा दिलाया कि वह सेना की ताकत और क्षमता बढ़ाने के लिए सामरिक ढांचागत विकास में तेजी के साथ-साथ सेना की अन्य लंबित मांगों पर ध्यान देंगी। साथ ही सेवारत, सेवानिवृत्त जवानों तथा अधिकारियों और उनके परिजनों के कल्याण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अपनी प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेनाओं का एकीकरण जरूरी है और विशेष रूप से प्रशिक्षण, संचार, साजो-सामान, साइबर अपराध तथा अन्य क्षेत्रों में यह समय की जरूरत है क्योंकि इससे भविष्य की चुनौतियों और खतरों से मजबूती से निपटा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सेना को जरूरी उपकरणों से लैस करने के संबंध में उन्होंने गृहमंत्री से बात की है।
रक्षामंत्री ने सेना से कहा कि वह क्षेत्र में पड़ोसी देशों के साथ राजनयिक रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास करे और 'मेक इन इंडिया' जैसे कार्यक्रमों की मदद से राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि सेना का मनोबल बनाए रखने के कदम उठाने में सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी।
इससे पहले सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि रक्षामंत्री ने पिछले कुछ दिनों में सियाचिन सहित हर क्षेत्र में अग्रिम मोर्चों का व्यापक दौरा किया है और वहां की स्थितियों की जानकारी ली है।
सेना के कमांडरों का सम्मेलन सोमवार को शुरू हुआ था और लगभग सप्ताह भर के इस सम्मेलन में शीर्ष सैन्य कमांडर देश के समक्ष खड़ी सुरक्षा संबंधी चुनौतियों तथा सेना को ताकतवर बनाने से संबंधित मुद्दों पर गहन मंथन करेंगे। (वार्ता)